साइबर अपराधों से जनता को बचाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली आई4सी (इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर) ने दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया है कि सभी टेलीकॉम कंपनियां कॉलर ट्यून और प्री-कॉलर ट्यून के जरिए लोगों को जागरूक करें।
कॉलर ट्यून से मिलेगा सतर्कता संदेश इस योजना के तहत कॉलर ट्यून दिन में 8-10 बार बजेगी, जिसमें साइबर अपराधों से बचाव के लिए उपयोगी संदेश सुनाए जाएंगे। इनमें बताया जाएगा कि यदि कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी या जज बनकर फोन या वीडियो कॉल करे, तो उस पर विश्वास न करें।
तीन महीने का अभियान यह जागरूकता अभियान तीन महीने तक चलेगा, जिसमें अलग-अलग संदेशों के माध्यम से साइबर अपराधों के खतरे और उनसे बचने के उपायों को समझाया जाएगा। टेलीकॉम कंपनियों ने इस पहल की शुरुआत कर दी है, जो साइबर सुरक्षा को बढ़ाने और जनता को डिजिटल खतरों से बचाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामले देश में “डिजिटल अरेस्ट” जैसे नए साइबर अपराधों का प्रचलन बढ़ा है, जहां अपराधी खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों से धन वसूलते हैं। इन्हीं घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह अनोखी पहल की है।
फर्जी कॉल्स पर लगाम केंद्र और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने एक नई प्रणाली तैयार की है, जो भारतीय मोबाइल नंबरों की आड़ में की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल्स को पहचानने और उन्हें ब्लॉक करने में सक्षम है। इस अभियान के तहत 15 नवंबर तक 6.69 लाख सिम कार्ड और 1.32 लाख आईएमईआई नंबर ब्लॉक किए जा चुके हैं।
साइबर सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम सरकार का यह कदम साइबर अपराधों को रोकने के साथ ही डिजिटल जागरूकता बढ़ाने का एक अहम प्रयास है। यह न केवल लोगों को सुरक्षित रखेगा, बल्कि उन्हें साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसने से भी बचाएगा। डिजिटल युग में इस तरह के प्रयास समाज को सशक्त और सुरक्षित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
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