मोदीनगर:- भोजपुर के निहाली गांव निवासी रिहान पुत्र इश्तियाक ने आपराधिक रिकॉर्ड छिपाकर पासपोर्ट बनवा लिया। पुलिस को इस फर्जीवाड़े का तब पता चला जब थाने में गुमनाम शिकायत आई। जांच के बाद खुलासा हुआ कि पासपोर्ट जारी होने से पहले ही रिहान के खिलाफ एक मामला दर्ज हो चुका था। अब पुलिस ने रिहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? जनवरी 2024 में पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय रिहान ने शपथपत्र में अपने आपराधिक मामलों को छिपाया। भोजपुर थाने में उसके खिलाफ कोई मामला न होने के कारण सत्यापन रिपोर्ट में “शून्य केस” दिखाया गया। इसके बाद, आवेदन फाइल डीसीआरबी (जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) भेजी गई, जहां जिले के थानों के मामलों की जांच की जाती है।
हालांकि, रिहान के खिलाफ दोनों मामले गौतमबुद्धनगर के दादरी थाने में दर्ज थे। डीसीआरबी में अन्य जिलों के मामलों का रिकॉर्ड न होने के कारण यह जानकारी सामने नहीं आ सकी।
गुमनाम पत्र ने खोली पोल नवंबर 2024 में भोजपुर थाने को एक गुमनाम पत्र मिला, जिसमें बताया गया कि रिहान पर 2021 में गौतमबुद्धनगर के दादरी थाने में धोखाधड़ी और चोरी के दो मामले दर्ज हैं। वह इन मामलों में जेल भी जा चुका है।
इसके अलावा, पासपोर्ट जारी होने के बाद अक्टूबर में गाजियाबाद के साइबर थाने में भी रिहान के खिलाफ एक और मामला दर्ज हुआ।
पुलिस की कार्रवाई भोजपुर थाने के दरोगा ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने रिहान का पासपोर्ट निरस्त कर दिया है। एसीपी ज्ञानप्रकाश राय के अनुसार, रिहान की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम लगाई गई है।
सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल यह मामला पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया की खामियों को उजागर करता है। जिले के बाहर के मामलों की जानकारी न होने के कारण ऐसे फर्जीवाड़ों को अंजाम दिया जा सकता है। प्रशासन अब सत्यापन प्रक्रिया को सख्त करने की दिशा में काम कर रहा है।
संदेश यह घटना आम नागरिकों को सचेत करती है कि सरकारी दस्तावेज बनवाने में ईमानदारी बरतें। वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी सतर्कता और सख्ती की जरूरत है ताकि ऐसे फर्जीवाड़ों को रोका जा सके।
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