भारतीय राजनीति में एक बार फिर डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर विवाद गहरा गया है। एक ओर बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, तो दूसरी ओर संसद के भीतर धक्का-मुक्की और गंभीर आरोप-प्रत्यारोप की घटनाएं चर्चा का केंद्र बन गई हैं। इस विवाद ने भारतीय लोकतंत्र की गरिमा और नेताओं की जिम्मेदारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अमित शाह की टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद
डॉ. आंबेडकर पर की गई गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। कांग्रेस ने इस बयान को आंबेडकर के अपमान के रूप में देखते हुए अमित शाह से इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी आंबेडकर के विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। दूसरी तरफ, बीजेपी ने कांग्रेस पर आंबेडकर के योगदान को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए तीखा विरोध प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी पर प्रताप सारंगी का गंभीर आरोप
इस विवाद के बीच, बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाया है। सारंगी ने दावा किया कि संसद में राहुल गांधी ने उन्हें धक्का दिया, जिसके कारण वे घायल हो गए। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने एक अन्य सांसद को धक्का दिया, जो मेरे ऊपर गिर गए, जिससे मैं सीढ़ियों के पास गिर पड़ा।”
घटना के बाद प्रताप सारंगी को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रह्लाद जोशी, अर्जुन राम मेघवाल और पीयूष गोयल ने अस्पताल जाकर उनका हालचाल लिया।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
प्रताप सारंगी के आरोपों पर राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ये सब कैमरों में रिकॉर्ड हुआ होगा। मैं संसद के अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बीजेपी सांसद मुझे रोकने, धक्का देने और धमकाने की कोशिश कर रहे थे।” उन्होंने आगे कहा, “खरगे जी को भी धक्का दिया गया। हम इस तरह की हरकतों से प्रभावित नहीं होते। यह हमारा अधिकार है कि हम संसद के अंदर जाएं। लेकिन बीजेपी सांसद जानबूझकर हमें रोकने की कोशिश कर रहे थे।”
संसद में धक्का-मुक्की: राजनीतिक मर्यादा पर सवाल
यह पहली बार नहीं है कि भारतीय संसद में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। लेकिन आंबेडकर जैसे महान नेता के नाम पर शुरू हुआ यह विवाद व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और धक्का-मुक्की तक पहुंच गया है। इससे न केवल संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की मर्यादा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
आंबेडकर के नाम पर राजनीति
डॉ. आंबेडकर का नाम भारतीय संविधान निर्माण और सामाजिक न्याय के लिए किए गए उनके योगदान के लिए गर्व का प्रतीक है। लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में उनका नाम पार्टियों के बीच सत्ता की खींचतान का माध्यम बन गया है। अमित शाह की टिप्पणी और कांग्रेस के विरोध ने इस विवाद को और गहराई दी है।
बीजेपी बनाम कांग्रेस: कौन सही, कौन गलत?
बीजेपी और कांग्रेस दोनों आंबेडकर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने का दावा कर रहे हैं। बीजेपी जहां कांग्रेस पर आंबेडकर के योगदान को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस अमित शाह के बयान को आंबेडकर के विचारों के खिलाफ बता रही है। दोनों पार्टियों के इस टकराव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आंबेडकर का नाम आज भी भारतीय राजनीति में कितना प्रभावशाली है।
राजनीति का गिरता स्तर
इस पूरे विवाद ने भारतीय राजनीति के गिरते स्तर को उजागर कर दिया है। संसद, जो देश के लोकतंत्र का मंदिर है, वहां इस तरह की घटनाएं होना न केवल शर्मनाक है, बल्कि जनता के लिए एक गंभीर संदेश भी है। आंबेडकर का नाम, जो सामाजिक समानता और न्याय का प्रतीक है, उसे राजनीतिक हथकंडों में घसीटना उनके आदर्शों का अपमान है।
नेताओं को चाहिए कि वे व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और हिंसात्मक घटनाओं से बचें और देश के विकास और जनता के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें।
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