5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में कई महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं। आइए, इन परिवर्तनों को तथ्यों और आंकड़ों के साथ विस्तार से समझें।
1. विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार बुनियादी ढांचे का विकास: धारा 370 हटने के बाद, जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, उद्योग, शिक्षा, हवाई अड्डे सहित लगभग हर क्षेत्र में विकास किया गया है, जो राज्य के विकास के लिए अहम कड़ी है।
केंद्र सरकार का अनुदान: वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर प्रदेश एवं लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को क्रमशः ₹30,757 करोड़ और ₹5,959 करोड़ का अनुदान दिया गया है।
2. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार कानूनों का विस्तार: अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, बाल विवाह निषेध अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और भूमि सुधार जैसे कानून अब जम्मू-कश्मीर में भी प्रभावी हैं, जिससे सामाजिक सुधार संभव हो सका है।
3. सुरक्षा और आतंकवाद में कमी आतंकी घटनाओं में कमी: जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 21 जुलाई तक कुल 14 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक मारे गए, जबकि 2023 में केंद्र शासित प्रदेश में 46 आतंकवादी घटनाओं और 48 मुठभेड़ों या आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या 44 थी, जिनमें 30 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक शामिल थे।
4. महिला और दलित अधिकारों का सशक्तिकरण समान अधिकार: वाल्मीकि, दलित और गोरखा जो राज्य में दशकों से रह रहे हैं, उन्हें भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।
5. राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार डीडीसी चुनाव: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2020 में राज्य में जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव कराकर राज्य को लोकतंत्र से जोड़ने की पहल की गई।
आरक्षण का लाभ: मोदी सरकार की ओर से वाल्मीकि समुदाय, माताएं, बहनें, ओबीसी, पहाड़ी, गुज्जर-बकरवाल आदि को आरक्षण का लाभ दिया गया।
6. पर्यटन में वृद्धि पर्यटन में बढ़ोतरी: जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग ने एक नई रफ्तार पकड़ी है। डल झील, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में विकास, शांति और समृद्धि के नए युग की शुरुआत हुई है। हालांकि चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं, लेकिन उपरोक्त आंकड़े और तथ्य दर्शाते हैं कि यह कदम क्षेत्र के समग्र विकास और राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
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