किसानों का दिल्ली कूच: संघर्ष और समाधान की राह

पंजाब के किसान फरवरी से अपनी मांगों को लेकर शंभू बाॅर्डर पर बैठे हैं। दिल्ली कूच का प्रयास करते हुए किसानों को दो बार हरियाणा पुलिस ने रोक दिया था। शनिवार को किसानों ने फिर से दिल्ली की ओर कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। किसान लगातार रास्ता मांगते रहे, जबकि पुलिस ने स्पष्ट किया कि यदि उनके पास दिल्ली जाने की अनुमति है, तो वे खुद उन्हें वहां तक ले जाएंगे।
किसानों का संघर्ष
पुलिस के रोकने पर किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। जवाब में पुलिस ने किसानों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। कड़ाके की ठंड में ठंडे पानी से बचने के लिए किसानों में भगदड़ मच गई। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर का आरोप है कि पुलिस की तरफ से एक्सपायरी डेट के आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं, जिससे किसानों को असुविधा हुई है। उन्होंने कहा कि गंदे पानी और केमिकल वाला स्प्रे भी किया जा रहा है। यहां तक कि पुलिस ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले फेंके।
जनता से संवाद
किसान नेताओं ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अगली रणनीति की जानकारी देने का फैसला किया है। सरवण सिंह पंधेर का कहना है कि वे चाहते हैं कि देशभर के किसान एक साथ अपनी आवाज उठाएं। अगर किसान एकजुट होकर संघर्ष करेंगे, तो आंसू गैस समेत सारी अव्यवस्था बंद हो जाएगी और उनकी मांगें पूरी की जाएंगी। हरियाणा पुलिस जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार 100 किसानों का पैदल चलना देश के लिए खतरनाक कैसे हो सकता है?
इस संघर्ष ने एक बार फिर से किसानों की संघर्षशीलता और दृढ़ संकल्प को उजागर किया है। किसानों का यह कदम उनके अधिकारों की रक्षा और अपनी मांगों के लिए एक निर्णायक लड़ाई का संकेत है। दिल्ली कूच का यह प्रयास किसानों के संघर्ष की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो उनकी दृढ़ता और विरोध के माध्यम से उनकी आवाज को बुलंद करने का प्रतीक है। किसान नेता आगे की रणनीति पर विचार करेंगे और मीडिया के माध्यम से जनता से संवाद बनाए रखेंगे, ताकि उनकी मांगें सुनी जाएं और समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
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