मार्शल लॉ ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति को मुश्किल में डाला, महाभियोग प्रस्ताव पारित

दक्षिण कोरिया की संसद में शनिवार को राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया। राष्ट्रपति यून विवादों में तब घिर गए थे जब उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू करने का फैसला किया। हालांकि, इसके खिलाफ व्यापक विरोध और नेशनल असेंबली की कड़ी आलोचना के बाद उन्होंने इस योजना को वापस ले लिया था। यह घटना दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ के केवल छह घंटे तक लागू रहने के साथ हुई।
‘एसोसिएटेड प्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से देश भर में खुशी की लहर दौड़ गई और इसे लोकतंत्र की बड़ी जीत के रूप में देखा गया। जनता इसे दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है। नेशनल असेंबली में महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में 204 वोट पड़े, जबकि 85 ने इसका विरोध किया। इस फैसले के बाद, यून की राष्ट्रपति पद की शक्तियों पर रोक लगा दी जाएगी और प्रधानमंत्री हान डक-सू उनकी जगह कार्यभार संभालेंगे।
महाभियोग से जुड़े दस्तावेज यून और न्यायालय को सौंपे जाएंगे। न्यायालय को 180 दिनों के भीतर यह निर्णय लेना होगा कि यून को राष्ट्रपति पद से बर्खास्त किया जाए या उनकी शक्तियां बहाल की जाएं। अगर यून को पद से हटा दिया जाता है, तो अगले साठ दिनों के भीतर नए राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रीय चुनाव कराए जाएंगे।
मार्शल लॉ की स्थिति में पहले विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग लगाने का प्रयास किया था। हालांकि, यह प्रस्ताव विफल हो गया क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के ज्यादातर सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया था। देश में महाभियोग के लिए 300 सीटों वाली संसद में 200 वोटों की आवश्यकता थी, लेकिन विपक्ष के पास केवल 192 सीटें थीं। सत्तारूढ़ पार्टी के केवल तीन सांसदों ने वोटिंग में भाग लिया, जिससे प्रस्ताव खारिज हो गया। नेशनल असेंबली के स्पीकर ने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताया और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अवमानना करार दिया।
अब, एक बार फिर नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया है। इस बार, विपक्षी दलों ने एक मजबूत रणनीति अपनाई है, और सत्तारूढ़ पार्टी के केवल तीन सांसदों के वोटिंग का बहिष्कार करने से निश्चित रूप से महाभियोग की संभावना को बढ़ा दिया है। इस बार, 300 सीटों वाली संसद में 200 वोटों की आवश्यकता है। अगर महाभियोग सफल होता है, तो प्रधानमंत्री हान डक-सू की अस्थायी नियुक्ति के बाद, नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
राष्ट्रपति यून के इस विवाद ने दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक ताने-बाने को फिर से उभरने के लिए महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं। जनता की बढ़ती असंतोष और विपक्षी दलों के एकजुट होने से यह दिखाया गया है कि दक्षिण कोरिया एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में खड़ा है, जहां सरकार की हर गतिविधि जनता की इच्छाओं और संविधान के दायरे में होना चाहिए।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का यह मुद्दा देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई बहस और चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है और भविष्य के चुनावों में इसके प्रभाव का अध्ययन करना महत्वपूर्ण होगा।
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