सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को शंभू बॉर्डर से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी

नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसानों को शंभू बॉर्डर से हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सवाल उठाया कि बार-बार एक ही तरह की याचिका क्यों दाखिल की जा रही है, जबकि इस मामले पर पहले से ही विचार किया जा रहा है। पहले से ही इसी संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
इस नई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया था कि शंभू बॉर्डर सहित अन्य महत्वपूर्ण सीमाओं को खोलने के निर्देश दिए जाएं। यह याचिका उस समय दाखिल की गई थी जब कोर्ट में विभिन्न बार्डर पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर सुनवाई चल रही थी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति
पहले से दाखिल याचिका में केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों से शंभू बॉर्डर सहित सभी हाईवे को खोलने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इस मुद्दे पर किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को एक समिति का गठन किया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि किसानों के मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
कोर्ट ने राज्य सरकारों से किसानों के साथ बैठकें जारी रखने और उन्हें हाईवे से ट्रैक्टर और ट्रॉलियों को हटाने के लिए राजी करने को कहा था। याचिका में यह भी कहा गया था कि इस तरह से हाईवे को अवरुद्ध करना लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत भी अपराध है। इसलिए, ऐसे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
कोर्ट का संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकारों को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। कोर्ट का मानना है कि किसानों के मुद्दों का समाधान केवल बातचीत और सहमति से ही हो सकता है और इसे किसी भी प्रकार का राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति किसानों के मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है। राज्य सरकारों को इस दिशा में और भी सक्रिय होने की आवश्यकता है ताकि किसानों की मांगें पूरी हों और हाईवे यातायात बाधित न हो।
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