गाजियाबाद:- 29 अक्टूबर को कोर्ट रूम में हुए अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज के मामले को लेकर शुक्रवार को भी वकीलों की हड़ताल जारी रही। इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के अधिवक्ता एकत्रित हुए और एक बैठक आयोजित कर अहम फैसले लिए। अधिवक्ताओं ने 14 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का उत्तर प्रदेश में बहिष्कार करने की घोषणा की। इसके साथ ही, जिला जज के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया।
शुक्रवार सुबह से ही न्यायालय परिसर के प्रवेश द्वार पर अधिवक्ताओं का जुटान शुरू हो गया। इस बैठक में बागपत, गौतमबुद्धनगर, और हापुड़ सहित 22 जिलों के बार एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल हुए। मंच से अधिवक्ताओं ने साफ तौर पर कहा कि जब तक जिला जज का निलंबन नहीं होता, हड़ताल और अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा। गाजियाबाद के सभी अधिवक्ता इस आंदोलन में एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएंगे।
राष्ट्रीय लोक अदालत का बहिष्कार अधिवक्ताओं ने फैसला लिया है कि 14 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में कोई भी वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं होगा। गाजियाबाद बार एसोसिएशन के सचिव अमित नेहरा ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया है।
स्थायी सदस्यता रद्द बार एसोसिएशन ने अधिवक्ता शिवम सिंह को पांच वर्षों के लिए स्थायी सदस्यता से वंचित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उनके पास सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस) नंबर नहीं है। गौरतलब है कि सीओपी नंबर के बिना कोई भी अधिवक्ता कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकता।
यह आंदोलन अधिवक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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