दक्षिण दिल्ली:- नेब सराय इलाके में हुए तिहरे हत्याकांड ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। इस घटना ने न केवल एक परिवार की बर्बादी की दर्दनाक कहानी बयां की, बल्कि समाज के उन गहरे तनावों और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा को उजागर किया, जो एक भयंकर त्रासदी का कारण बन सकती है।
परिवार के भीतर पनपा कलह राजेश कुमार, एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर और एनएसजी कमांडो, अपने परिवार के साथ देवली गांव में रहते थे। उनकी पत्नी कोमल और बेटी कविता के साथ मंगलवार रात को 27वीं शादी की सालगिरह मनाने की योजना थी। लेकिन अगली सुबह ने पूरे परिवार की खुशियों को खून से रंग दिया। उनके बेटे अर्जुन ने, जो बॉडी बिल्डर और राष्ट्रीय स्तर का बॉक्सर है, अपने ही माता-पिता और बहन की हत्या कर दी।
पुलिस की जांच में पता चला कि अर्जुन अपने पिता राजेश की बार-बार की डांट और मारपीट से नाराज था। उसे लगता था कि उसका परिवार उसे समझने की बजाय हर बात पर टोकता है। अर्जुन ने कई दिनों तक हत्या की साजिश रची और आखिरकार अपने पिता के ही चाकू से इस दर्दनाक वारदात को अंजाम दिया।
हत्या की भयानक रात बुधवार सुबह, राजेश के शव उनके बेडरूम में मिला। उनकी गर्दन चाकू से काटी गई थी। पत्नी कोमल और बेटी कविता के शव नीचे भूतल पर मिले। उनके शरीरों पर भी चाकू के गहरे निशान थे, जिससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने हमले का विरोध करने की कोशिश की थी। कविता, जो कराटे में ब्लैक बेल्ट थीं, अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करती रहीं, लेकिन अर्जुन की क्रूरता ने उनकी कोशिशों को विफल कर दिया।
हत्या के बाद की चौंकाने वाली हरकतें घटना के बाद अर्जुन ने खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश की। वह जिम गया और वहां जाकर घटना की जानकारी दी। जिम के संचालक और अन्य युवक उसके साथ घर पहुंचे और शवों को देखा। यह घटना न केवल अर्जुन की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि परिवारों में संवाद की कमी और हिंसा के दुष्परिणामों पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
दर्दनाक परिणाम और समाज पर सवाल इस भयानक घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे बेहद डरावनी घटना बताते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
मानसिक स्वास्थ्य और संवाद की जरूरत नेब सराय का यह हत्याकांड हमें यह सिखाता है कि पारिवारिक समस्याओं को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य और परिवार के सदस्यों के बीच संवाद को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अगर अर्जुन की भावनात्मक समस्याओं को समय रहते समझा गया होता, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हर परिवार में शांति, समझदारी और सहानुभूति के बीज बोने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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