बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का कहर, 200 परिवारों ने छोड़ा घर

बांग्लादेश:- हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, जिससे वहां के अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा का संकट गहरा हो गया है। यूनुस सरकार के तमाम दावों के बावजूद, कट्टरपंथी ताकतों द्वारा हिंदू परिवारों को निशाना बनाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सुमनगंज जिले में हाल ही में हुई हिंसा इसका एक और भयावह उदाहरण बन गई, जब कट्टरपंथियों की एक हिंसक भीड़ ने हिंदू घरों पर हमला किया और उन्हें तोड़फोड़ का शिकार बनाया। यह घटना उस वक्त घटी जब एक हिंदू युवक पर फेसबुक पोस्ट में ईश निंदा का आरोप लगाकर हिंसा को अंजाम दिया गया।
सुमनगंज जिले में भड़की हिंसा
सुमनगंज जिले में कट्टरपंथी भीड़ ने हिंदू समुदाय के घरों को निशाना बनाया। रिपोर्ट के अनुसार, 100 से ज्यादा हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई और पूजा स्थलों को भी बर्बाद किया गया। यह हिंसा एक युवक द्वारा कथित तौर पर फेसबुक पर की गई पोस्ट को लेकर भड़की, जिसमें उसे ईश निंदा का दोषी ठहराया गया। पुलिस ने इस मामले में आकाश दास नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस घटना ने हिंदू समुदाय के बीच भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है।
इस हिंसा के बाद, टाइम ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 200 से ज्यादा हिंदू परिवार चुपके से अपने घर छोड़कर पलायन कर गए हैं। यह घटनाएं बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चिंता का बड़ा कारण बन चुकी हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मुद्दे पर पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया और यूनुस सरकार पर हिंदू समुदाय के नरसंहार के प्रयास का आरोप लगाया। हसीना ने कहा कि यूनुस सरकार ने उनके और उनकी बहन रेहाना की हत्या करवाने की योजना बनाई थी। उन्होंने न्यूयॉर्क में बांग्लादेश के विजय दिवस के मौके पर एक वर्चुअल संबोधन में यह खुलासा किया और कहा कि उन्होंने बांग्लादेश छोड़ने का निर्णय सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की जान बचाने के लिए लिया था।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और अमेरिकी कांग्रेसी का बयान
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया भी बढ़ने लगी है। अमेरिकी कांग्रेसी ब्रैड शेरमन ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह हिंदू समुदाय पर हो रही हिंसा और उत्पीड़न पर तत्काल कार्रवाई करे और उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दे। शेरमन ने यह भी कहा कि हाल ही में हुए हमलों और उत्पीड़न के कारण हजारों हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और बांग्लादेश सरकार को इन प्रदर्शनों को उचित तरीके से संबोधित करना चाहिए।
चटगांव में भगवा झंडे की घटना और उसके परिणाम
एक अन्य विवादास्पद घटना 25 अक्टूबर को चटगांव में हुई, जब बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराया गया। इस घटना के बाद उग्र भीड़ ने हिंसा फैलाना शुरू कर दिया। आरोप है कि इस मामले में पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया था। इस घटना ने बांग्लादेश में धार्मिक तनाव को और बढ़ा दिया है और वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति
इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षा की स्थिति गंभीर होती जा रही है। जहां एक ओर बांग्लादेश सरकार यह दावा करती है कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करती है, वहीं दूसरी ओर इन घटनाओं से यह साफ होता है कि इन समुदायों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल रही है।
कट्टरपंथी ताकतों द्वारा हिंदू परिवारों को निशाना बनाने की घटनाएं न केवल बांग्लादेश में बढ़ती जा रही हैं, बल्कि इससे भारत और अन्य देशों में भी चिंता का माहौल पैदा हो गया है। बांग्लादेश में हुए इन हमलों ने यह सिद्ध कर दिया है कि राज्य की ओर से पर्याप्त कार्रवाई न होने के कारण अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है।
Exit mobile version