भारत ने बुधवार, 27 नवंबर को अपनी पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 3500 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकती है, जो भारत की सामरिक शक्ति को और मजबूत बनाती है। भारतीय नौसेना के सूत्रों के अनुसार, इस परीक्षण के परिणामों का विश्लेषण किया जा रहा है। विश्लेषण पूरा होने के बाद, सेना के वरिष्ठ अधिकारी और सरकार के प्रमुख नेता इस बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
यह परीक्षण भारत के हमले की दूसरी लाइन तैयार करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले भारत भूमि से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है। यह परीक्षण भारत की सामरिक सुरक्षा को और सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगा।
भारतीय नौसेना ने इस साल अगस्त में विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर में आईएनएस अरिघात को अपने बेड़े में शामिल किया था। सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल की पूरी रेंज का परीक्षण करने से पहले, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पानी के भीतर से कई सफल परीक्षण किए थे। भारतीय नौसेना अब इस मिसाइल प्रणाली के और अधिक परीक्षण करने की योजना बना रही है।
भारतीय नौसेना के पास इस समय दो परमाणु पनडुब्बियां हैं, जो बैलिस्टिक मिसाइल दागने में सक्षम हैं—आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात। इसके अलावा, एक और पनडुब्बी लॉन्च हो चुकी है, और अगले साल तक उसे नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है।
इसके अलावा, 16 नवंबर 2024 को डीआरडीओ ने ओडिशा के तट से दूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अपनी लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण भी किया। इस मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 1500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न पेलोड लेकर उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिसाइल का परीक्षण विभिन्न रेंज प्रणालियों द्वारा किया गया था, और यह पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।
यह सभी परीक्षण भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, जिससे देश अपनी सामरिक सुरक्षा को और बढ़ा सकता है।
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