बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे लगातार हमलों और उत्पीड़न ने एक बार फिर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं, पर आरोप है कि वह जानबूझकर हिंदू समुदाय को निशाना बना रही है। इस पर ताज़ा घटनाक्रम में, बांग्लादेश के अटार्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने एक हाई कोर्ट सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कांशसनेस (इस्कॉन) को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन करार दिया, जो इस्लामिक कट्टरपंथियों और बांग्लादेश सरकार के बीच एक बड़ा विवाद बन चुका है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और विरोध
यह मामला तब और बढ़ गया जब बांग्लादेश में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद देशभर में हिंसा और विरोध प्रदर्शनों की लहर उठी। चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और इस्कॉन से जुड़े पुंडरीक धाम के प्रमुख हैं, ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था। उनका यह कदम बांग्लादेश सरकार और कट्टरपंथी ताकतों के लिए चुनौती बन गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद चिट्टागोंग में भारी हिंसा हुई, जिससे स्थानीय समुदाय में असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया।
बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान, अटार्नी जनरल असदुज्जमां ने कहा कि सरकार पहले से ही इस्कॉन के गतिविधियों की जांच कर रही है और यह मामला न्यायिक समीक्षा में है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर सरकार को लगता है कि इस्कॉन का कोई गलत काम सामने आता है, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पहले से ही धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदू संतों, पुजारियों और धार्मिक संगठनों के सदस्यों पर हमले बढ़े हैं। इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन जैसे धार्मिक संगठनों के सदस्य इन हमलों का शिकार हो रहे हैं। इन संगठनों के सदस्य, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की रक्षा के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, लगातार धमकियों का सामना कर रहे हैं।
इस संकट के बीच, इस्कॉन कोलकाता ने भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया है। संगठन का कहना है कि बांग्लादेश में उनके भिक्षुओं और हिंदू समुदाय के अन्य सदस्यों पर हो रहे हमले नरसंहार के समान हैं। राधारमण दास, इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता ने कहा, “यह सिर्फ हमलों की बात नहीं है, बल्कि हमारे भक्तों और पुजारियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। बांग्लादेश में हो रही इन घटनाओं को विश्व समुदाय द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”
केंद्र सरकार का दबाव और बांग्लादेश की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि वह इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हालांकि, बांग्लादेश सरकार की ओर से जो प्रतिक्रिया आई है, वह भारत सरकार के लिए निराशाजनक रही है। बांग्लादेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह उसका आंतरिक मामला है और भारत को इसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने यह भी कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का कारण उनका प्रदर्शन था, जो बांग्लादेश के अंदर हो रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों और अत्याचारों के खिलाफ था।
बांग्लादेश सरकार का यह रवैया भारत में आक्रोश का कारण बना है। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में, बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेताओं ने बांग्लादेश उप उच्चायोग तक मार्च निकाला और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान
अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) ने संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की है कि वह बांग्लादेश में हो रहे धार्मिक उत्पीड़न का संज्ञान ले और इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे। इस्कॉन के अधिकारियों ने यह भी कहा कि यदि बांग्लादेश सरकार इस मामले को हल नहीं करती है, तो यह न केवल हिंदू समुदाय बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।
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