पाकिस्तान:- हाल के दिनों में राजनीतिक हलचल ने एक नया मोड़ लिया है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया। हालांकि, राजधानी इस्लामाबाद में सरकार की सख्त कार्रवाई के बाद पीटीआई ने अपनी धरना समाप्त करने का ऐलान कर दिया है। यह घटनाक्रम पाकिस्तान के राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां एक ओर इमरान खान की पार्टी ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को ‘नरसंहार का प्रयास’ करार दिया है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों पर अपनी सख्ती से काबू पाया है।
इमरान खान की पार्टी का विरोध
इमरान खान की पार्टी ने यह विरोध प्रदर्शन तब शुरू किया था जब पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तार किए जाने के बाद पीटीआई समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य इमरान खान को रिहा करना और उनके खिलाफ राजनीतिक मामलों में दायर की गई सजा को खत्म करना था। पार्टी ने यह आरोप लगाया कि उनके नेता को अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ मनगढ़ंत मामले बनाए गए।
15 नवंबर को, इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में एक विशाल मार्च का आयोजन किया गया, जिसमें खैबर पख्तूनख्वा से इस्लामाबाद तक लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस दौरान बुशरा बीबी ने ऐलान किया था कि जब तक इमरान खान को रिहा नहीं किया जाएगा, तब तक प्रदर्शनकारी नहीं हटेंगे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि इमरान खान को तुरंत जेल से रिहा किया जाए और उन पर चल रहे मामलों को निरस्त किया जाए।
इस्लामाबाद में हिंसा और सुरक्षा बलों की कार्रवाई
पीटीआई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान, इस्लामाबाद का डी चौक क्षेत्र और इसके आसपास के इलाके हिंसा का केंद्र बन गए। मंगलवार की शाम, प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की, जबकि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछार की। हिंसा के इस स्तर तक पहुंचने के बाद, सरकार ने सख्त कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप डी चौक और उसके आसपास के क्षेत्र में कई घंटों तक तनाव का माहौल बना रहा।
पुलिस और रेंजर्स ने विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए पूरी ताकत झोंकी। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप, लगभग 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, और सरकार ने इसे एक ‘नरसंहार का प्रयास’ करार दिया। पीटीआई ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों ने जानबूझकर प्रदर्शनकारियों को मारने के उद्देश्य से गोलीबारी की। हिंसा के इस दौर में छह सुरक्षाकर्मी भी अपनी जान गंवा बैठे, और दर्जनों लोग घायल हो गए। इसके बाद, सरकार ने क्षेत्र को खाली कराने के लिए रात्रि को अभियान चलाया, जिससे पीटीआई को अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी।
पीटीआई का आरोप और सरकार का रुख
पीटीआई ने सरकार के इस कदम को “फासीवादी सैन्य शासन” के तहत एक हत्या की साजिश करार दिया। पार्टी का कहना था कि पाकिस्तान में सेना और सरकार मिलकर एक ‘तानाशाही शासन’ स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। पीटीआई के नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है और प्रदर्शनकारियों की आवाज को दबाने के लिए बर्बर तरीके अपनाए हैं।
इमरान खान की पार्टी के अनुसार, सरकार का यह कदम पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। पीटीआई ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान की वर्तमान सरकार और सेना के बीच गठबंधन लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश कर रहा है। पीटीआई ने कहा कि सरकार की इस कार्रवाई से साफ़ है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिशें हो रही हैं।
इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग
इमरान खान की पार्टी ने 13 नवंबर को एक “अंतिम आह्वान” किया था, जिसमें कहा गया था कि जब तक पूर्व प्रधानमंत्री को जेल से रिहा नहीं किया जाता, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। पार्टी ने आरोप लगाया कि इमरान खान को साजिश के तहत राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किया गया है। खान ने संविधान के 26वें संशोधन को लेकर भी कड़ी आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने इसे ‘तानाशाही शासन’ को मजबूत करने का कदम बताया था। खान का कहना था कि इस संशोधन ने देश में राजनीतिक स्वतंत्रता को खत्म करने की दिशा में एक कदम उठाया है।