सुप्रीम कोर्ट:- दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूलों की बंदी और शारीरिक कक्षाओं में रुकावट के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से स्कूलों और कॉलेजों में कक्षाएं फिर से शुरू करने पर विचार करने को कहा है, ताकि छात्रों को शारीरिक कक्षाओं का लाभ मिल सके। प्रदूषण के कारण ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए कई छात्रों के पास उचित बुनियादी ढांचा और दोपहर के भोजन की सुविधा नहीं है।
कोर्ट की पीठ ने इस दौरान यह भी कहा कि कई बच्चे घर पर प्यूरीफायर की सुविधा से वंचित हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि घर पर रहकर भी वे प्रदूषण से पूरी तरह बचाव नहीं कर पा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लागू GRAP-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत प्रदूषण नियंत्रण के कड़े उपायों में ढील देने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि जब तक वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक इन प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि GRAP-3 और GRAP-2 के तहत कोई नए प्रतिबंध लागू नहीं किए जाएंगे।
प्रदूषण के कारण दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे केवल आवश्यक सामान की आपूर्ति के लिए ही ट्रकों को अनुमति दी जा रही है। इसके अलावा, निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है, जिससे दिहाड़ी मजदूरों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह निर्देश दिया है कि निर्माण गतिविधियों पर लगे प्रतिबंधों से जो श्रम उपकर एकत्रित हुआ है, उसे मजदूरों की सहायता के लिए उपयोग किया जाए।
हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति में कुछ राहत मिली है, और सोमवार को AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) खतरनाक स्तर से अस्वस्थ श्रेणी में आ गया। बावजूद इसके, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक प्रदूषण नियंत्रण के उपायों में कोई ढील नहीं दी जा सकती।
GRAP की शुरुआत 2017 में हुई थी, और यह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। कोर्ट ने इसे प्रभावी बनाने की जरूरत पर जोर दिया है, ताकि दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और नागरिकों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
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