गाजियाबाद:- बढ़ते प्रदूषण और कोहरे के कारण सांस के मरीजों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। फिजिशियन ओपीडी में रोजाना 30 फीसदी मरीज मौसम परिवर्तन के कारण सांस की समस्याओं से जूझते हुए आ रहे हैं। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में सिर्फ संयुक्त अस्पताल में चेस्ट फिजिशियन उपलब्ध हैं, जबकि अन्य अस्पतालों में सामान्य डॉक्टर ही सांस संबंधी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं। गंभीर मामलों को दिल्ली रेफर किया जा रहा है।
एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा के अनुसार, रोजाना लगभग 700 से 750 मरीज ओपीडी में आते हैं, जिनमें से 230 से 250 मरीज सांस की बीमारियों से पीड़ित होते हैं। प्रदूषण के कारण खांसी और जुकाम जैसी परेशानियों में भी वृद्धि हुई है। अगर प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव और भी गहरा हो सकता है।
वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी त्यागी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में गले में खराश और जुकाम के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। प्रदूषण का एयर इंडेक्स खराब श्रेणी में रहने के कारण अगले पांच से सात दिनों में इसके असर और बढ़ने की संभावना है। फ्लू के संक्रमण के कारण भी कुछ मरीज सांस की परेशानी के साथ डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं।
पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि ओपीडी में आ रहे मरीजों में 50 फीसदी को खांसी, गले में खराश, छाती में जकड़न, नाक से पानी आना और सांस फूलने की समस्याएं हो रही हैं। इनहेलर बढ़ाने पर भी मरीजों को विशेष राहत नहीं मिल रही है।
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यह आंकड़े गाजियाबाद के विभिन्न अस्पतालों से आए हैं:
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एमएमजी अस्पताल: 230 से 250 मरीज
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संयुक्त अस्पताल: 180 से 190 मरीज
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लोनी सीएचसी: 80 से 90 मरीज
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मोदीनगर सीएचसी: 100 से 125 मरीज
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मुरादनगर सीएचसी: 60 से 70 मरीज
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डासना सीएचसी: 50 से 55 मरीज