गाजियाबाद:- कचहरी में शनिवार को चार राज्यों के वकीलों की महापंचायत में हड़ताल को आठ दिन के लिए स्थगित करने का जो निर्णय लिया गया था, वह महज 24 घंटों में ही वापस ले लिया गया। रविवार को गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें न्यायिक कार्य का बहिष्कार पहले की तरह जारी रखने का फैसला लिया गया।
बार एसोसिएशन के सचिव अमित नेहरा के अनुसार, वकीलों की दो प्रमुख मांगें—जिला जज अनिल कुमार को हटाना और लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई—पूर्ण होने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन की गति पहले की तरह बनी रहेगी और वकील अपनी मांगों के लिए धरना-प्रदर्शन भी जारी रखेंगे।
महापंचायत का विरोध, वकीलों में असंतोष गाजियाबाद कचहरी में शनिवार को हुई महापंचायत में यूपी, दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ के वकील शामिल हुए थे। इस महापंचायत में हड़ताल को आठ दिन के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन जैसे ही यह निर्णय कचहरी के वकीलों तक पहुंचा, उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि यह फैसला उनके बीच सहमति से नहीं लिया गया था। इस विरोध के कारण बार एसोसिएशन को अपना निर्णय पलटते हुए हड़ताल जारी रखने का निर्णय लेना पड़ा।
मुकदमों का बढ़ता बोझ वकीलों की हड़ताल के कारण गाजियाबाद कचहरी में मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। रोजाना करीब 10,000 केस सुनवाई के लिए आ रहे हैं, लेकिन चार नवंबर से जारी हड़ताल के कारण एक लाख से ज्यादा केसों में कोई प्रगति नहीं हो पाई है। न तो गवाह पेश हो पा रहे हैं और न ही साक्ष्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इससे न्याय प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और जेलों में कैदियों की संख्या भी बढ़ रही है।
इसके अतिरिक्त, तहसील बार ने बैनामों का काम शुरू किया है, लेकिन इसके बावजूद बैनामों की संख्या में कमी बनी हुई है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। वकीलों की हड़ताल से न केवल न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो रही है, बल्कि यह समाज और सरकारी तंत्र पर भी असर डाल रही है।
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