प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जो तीन महत्वपूर्ण देशों – नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना – को कवर करती है। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के इन देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना है। पीएम मोदी की नाइजीरिया यात्रा खासतौर पर ऐतिहासिक है क्योंकि यह 17 साल के बाद हो रही है, जब अंतिम बार भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नाइजीरिया का दौरा किया था।
नाइजीरिया: भारत और नाइजीरिया के रिश्तों को नया आयाम नाइजीरिया की यात्रा 16-17 नवंबर को होगी, और यह भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू के निमंत्रण पर पीएम मोदी इस यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को पुनः स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि अफ्रीका महाद्वीप के सबसे बड़े और प्रभावशाली देशों में से एक के साथ भारत के रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगी। पीएम मोदी का नाइजीरिया दौरा भारतीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब भारत और नाइजीरिया के बीच आर्थिक सहयोग और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में चर्चा हो रही है।
ब्राजील: जी-20 शिखर सम्मेलन और द्विपक्षीय सहयोग नाइजीरिया के बाद पीएम मोदी ब्राजील के दौरे पर जाएंगे, जहां वे 8-19 नवंबर तक जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ब्राजील यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की संभावना जताई जा रही है, जो ब्रिक्स बैठक के बाद दोनों देशों के रिश्तों को और भी सुदृढ़ कर सकती है। साथ ही, पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी मुलाकात होगी, जो वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का एक अच्छा मौका होगा।
गुयाना: 56 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री का दौरा अंतिम पड़ाव गुयाना है, जहां पीएम मोदी 19-21 नवंबर तक रहेंगे। यह यात्रा खास है क्योंकि 1968 के बाद यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री गुयाना का दौरा करेगा। इस यात्रा से भारत और गुयाना के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम मिल सकते हैं, खासकर ऊर्जा और व्यापार क्षेत्र में।
प्रधानमंत्री मोदी का यह विदेश दौरा न केवल भारत की कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि भारत के वैश्विक प्रभाव को और बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
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