बदरीनाथ के कपाट बंद, 17 नवंबर से दर्शन होंगे अस्थायी रूप से बंद

आज से बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। पंच पूजा के साथ इस धार्मिक परंपरा का पालन करते हुए पहले दिन गणेश मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। 17 नवंबर की रात 9:07 बजे शीतकाल के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे, और इसी के साथ उत्तराखंड की चारधाम यात्रा भी समाप्त हो जाएगी। यमुनोत्री, गंगोत्री, और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
पंच पूजा में इस दिन सुबह भगवान गणेश की पूजा की जाएगी और सांझ को गणेश मंदिर के कपाट बंद होंगे। 14 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर और आदि शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे, वहीं 15 नवंबर को खड़क पुस्तक को बंद कर वेद ऋचाओं का वाचन भी रोका जाएगा।
16 नवंबर को माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाकर रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट की उपस्थिति में पूजा अर्चना की जाएगी। इस दिन रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री वेश में माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण देंगे।
17 नवंबर को भगवान बदरी विशाल और माता लक्ष्मी के साथ गर्भगृह में विराजमान होने के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इस मौके पर मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा और पूरे कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए विशेष आयोजन किए जाएंगे।
18 नवंबर को भगवान बदरी विशाल का रथ और अन्य देवताओं की डोलियाँ शीतकालीन गद्दीस्थल पांडुकेश्वर और जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगी।
इस साल अब तक बदरीनाथ धाम में 13.80 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं।
इस धार्मिक प्रक्रिया के बीच, उत्तरकाशी में हिंदू संगठन के तीन कार्यकर्ताओं को जमानत मिलने के बाद स्थानीय युवाओं ने ज्ञानसू से बाइक रैली निकाली, जिसमें कार्यकर्ताओं का स्वागत फूल-मालाओं से किया गया।
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