नई दिल्ली:- दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो चुकी है, जिससे न केवल हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है, बल्कि यह लोगों की सेहत पर भी बुरा असर डाल रहा है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, हर 10 में से चार परिवार प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सकों के पास जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 9% लोग डॉक्टर से सलाह लेने के लिए सीधे अस्पतालों या क्लीनिकों का रुख करने की बजाय सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं।
सर्वे में यह भी सामने आया है कि दीपावली के आसपास से ही दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बढ़ने लगी थी, और तब से वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार ‘बहुत खराब’ बना हुआ है। लोकल सर्कल नामक संस्था द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के 21,000 लोगों से राय ली गई। सर्वे में पाया गया कि प्रदूषण के कारण 47% लोगों ने विशेष रूप से वायु प्रदूषण से बचाव के लिए दवाइयां या उपकरण खरीदे हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बात करें तो 33% लोग कफ सिरप का सेवन कर रहे हैं, वहीं 20% लोग पैरासिटामोल और 13-13% लोग इनहेलर और नेबुलाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा, 13% लोग एंटीबायोटिक्स का सेवन कर रहे हैं। प्रदूषण से संबंधित बीमारियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जैसे आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी और त्वचा संबंधी रोग।
दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर अब इतना बढ़ चुका है कि मंगलवार सुबह कुछ इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 को पार कर गया। आनंद विहार का AQI 420, जहांगीरपुरी का AQI 424 और ओखला का AQI 301 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है। प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव से दिल्ली में लोग दमघोंटू हवा में सांस ले रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
इस दौरान, यमुनापार क्षेत्र में मलबे के ढेरों से भी समस्या बढ़ गई है। कड़कड़ी मोड़, मयूर विहार फेज-3 और गाजीपुर जैसे इलाकों में मलबे के ढेर पड़े हुए हैं, जिससे धूल उड़ने से लोगों को आंखों में जलन, सांस में दिक्कत और त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मलबे के ढेर करीब एक सप्ताह से वहीं पड़े हैं और कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो रही है। मयूर विहार फेज-3 में एक पार्क के सामने कचरे और मलबे का ढेर पड़ा है, जिससे बेसहारा जानवर सड़क पर कचरा फैलाते रहते हैं।
स्थानीय अधिकारी हालांकि यह दावा कर रहे हैं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे पानी का छिड़काव और मलबे का निस्तारण। अधिकारियों का कहना है कि मलबे को जल्द ही उठवा लिया जाएगा, लेकिन अभी तक स्थिति में कोई खास बदलाव नजर नहीं आया है।
Discussion about this post