CJI चंद्रचूड़ को विदाई: ‘जब एक विशाल वृक्ष गिरता है, तो उसका खालीपन हमेशा महसूस होता है

सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने सेवानिवृत्त हो रहे समकक्ष, मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की विदाई के अवसर पर एक भावुक और प्रेरणादायक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने CJI चंद्रचूड़ के अद्वितीय योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनके जाने से कोर्ट में एक बड़ा खालीपन महसूस होगा, जो लंबे समय तक भर पाना मुश्किल होगा।
शुक्रवार को आयोजित विदाई समारोह में, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के भविष्य को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपना गीत बंद कर देते हैं। हवा भी अलग तरह से चलने लगती है। बाकी पेड़ उस खाली जगह को भरने की कोशिश करते हैं, मगर जंगल कभी वैसा नहीं होगा… जैसा पहले था।” इस गहरे प्रतीकात्मक वाक्य में न्यायमूर्ति खन्ना ने CJI चंद्रचूड़ के सुप्रीम कोर्ट में दिए गए योगदान की महत्ता को रेखांकित किया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपनी विदाई में हल्के-फुल्के अंदाज में अपनी ट्रोलिंग का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “शायद मैं पूरे सिस्टम में सबसे अधिक ट्रोल किए जाने वाले न्यायाधीशों में से एक हूं। आप सभी जानते हैं कि मुझे कितनी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा है।” इसके बाद उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “सोमवार से उन ट्रोलर्स के पास काम नहीं रहेगा, क्योंकि मैं सेवानिवृत्त हो रहा हूं!” इसके बाद उन्होंने बशीर बद्र की मशहूर कविता की पंक्तियां पढ़ी: *”मुखालिफत से मिरी शख्सियत संवरती है, मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूं।”*
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस मौके पर अपने उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तारीफ करते हुए कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट को इस दृढ़ विश्वास के साथ छोड़ रहा हूं कि यह न्यायालय न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के ठोस, स्थिर और विद्वान हाथों में है। मुझे पूरा यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट का भविष्य उज्ज्वल है।”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का दो साल का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हो जाएगा, और उसी दिन वे 65 वर्ष की आयु के हो जाएंगे। इसके बाद 11 नवंबर से न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। सुप्रीम कोर्ट में यह परिवर्तन भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा, और सभी की नजरें इस बात पर हैं कि न्यायमूर्ति खन्ना अपनी अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट को किस दिशा में ले जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सशक्त और समावेशी भूमिका को और भी मजबूती देने के लिए न्यायमूर्ति खन्ना का नेतृत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। CJI चंद्रचूड़ का नेतृत्व जहां संवेदनशीलता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था, वहीं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना से भी ऐसी ही उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट का भविष्य निश्चित रूप से उत्साहजनक नजर आता है।
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