गाजियाबाद:- एमएमएच कॉलेज में प्राचार्य डॉ. पीयूष चौहान के पद को लेकर चल रहा विवाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। 24 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने डॉ. चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि उन्हें प्राचार्य के पद पर कार्य करने दिया जाए। यदि ऐसा नहीं होता, तो प्रबंध समिति, कुलपति और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को छह नवंबर को कोर्ट के सामने कारण बताना होगा।
डॉ. चौहान के लिए यह आदेश राहत की सांस लेकर आया है, खासकर तब जब कॉलेज में तीन अक्टूबर तक छुट्टी घोषित कर दी गई है। उन्होंने बताया कि अवकाश के दौरान भी प्राचार्य समेत अन्य सरकारी पदों पर कार्यभार ग्रहण करने की व्यवस्था है।
डॉ. चौहान को 14 अगस्त को प्रबंध समिति ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया था, लेकिन 20 सितंबर को कुलपति ने इस निलंबन को स्थगित कर दिया। इसके बाद प्रबंध समिति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिससे डॉ. चौहान को पदभार ग्रहण नहीं कराया गया।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को फिर से सुनने का आदेश दिया था। डॉ. चौहान ने इसे “सच की जीत” करार दिया।
इस विवाद का एक अन्य पहलू यह है कि शिक्षकों और कर्मचारियों का सितंबर माह का वेतन भी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से जारी नहीं हो सका था। हालांकि, डॉ. चौहान की वार्ता के बाद वेतन जारी किया गया, जिससे कर्मचारियों ने राहत की सांस ली।
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