किशनगंज, बिहार:- महज 15 साल की उम्र में मां बनने वाली रोशनी परवीन ने बाल विवाह की असहनीय चुनौतियों का सामना किया। अपने पति की उम्र के तीन गुना होने और असहाय स्थिति में होने के बावजूद, रोशनी ने अपने भविष्य को खुद गढ़ने का संकल्प लिया। उन्होंने न केवल अपने जीवन को बदला, बल्कि अब वह बिहार की ग्रामीण लड़कियों के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई हैं।
एक कठिन सफर
रोशनी की कहानी एक साधारण परिवार से शुरू होती है, जहां उनके माता-पिता ने सामाजिक दबाव में आकर उनकी शादी कर दी। शादी के कुछ ही समय बाद, उन्हें अपने पति के साथ जीवन जीने के कष्टदायक अनुभव का सामना करना पड़ा। तीन महीने के बाद, जब वह अपने माता-पिता के पास लौटीं, तो उन्हें पता चला कि वह गर्भवती हैं। यह सब कुछ सहन करने के बाद, उन्होंने अपने बेटे की परवरिश के लिए एक शोरूम में काम करना शुरू किया।
बदलाव की प्रेरणा
रोशनी ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया। 2018 में, वह चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन से जुड़ गईं और अपनी जैसी अन्य महिलाओं के साथ मिलकर कार्य करने लगीं। उन्होंने अपने गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए कई पहल की। उनके प्रयासों से 60 से अधिक बाल विवाहों को रोका गया।
अधिकारों के लिए वकालत
रोशनी अब न केवल लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल हैं, बल्कि वह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी काम कर रही हैं। उन्होंने लड़कियों के परिवारों को सरकारी योजनाओं के लाभ दिलाने में मदद की है, जिससे लड़कियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें। उनका प्रयास है कि लड़कियां अपनी क्षमताओं को पहचानें और आत्मनिर्भर बनें।
भविष्य की दिशा
रोशनी ने पांच प्रमुख रणनीतियों को साझा किया है, जो युवा लड़कियों की रक्षा और सशक्तिकरण के लिए आवश्यक हैं:
1. कानूनी प्रावधानों की मजबूती: बाल विवाह के खिलाफ कड़े कानूनों की जरूरत है। 2. शिक्षा का समावेश: स्कूलों में महिला अधिकारों की शिक्षा को शामिल करना। 3. समुदाय की सक्रियता: बाल संरक्षण समितियों को सक्रिय करना। 4. कौशल विकास: किशोर समूहों का निर्माण ताकि लड़कियां सशक्त हो सकें। 5. निगरानी: बाल विवाह के बाद लड़कियों की नियमित निगरानी।
एक नया सपना
रोशनी का सपना है कि वह अपने जीवनकाल में बाल विवाह मुक्त भारत देख सकें। उनकी यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि परिवर्तन संभव है जब हम मिलकर काम करते हैं। रोशनी की कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद, एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प समाज में बदलाव ला सकता है।
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