वाइस एडमिरल डा. आरती सरीन ने हाल ही में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (DGAFMS) का पदभार संभाला, और इस प्रतिष्ठित पद पर पहुँचने वाली पहली महिला अधिकारी बन गईं। उनके 38 वर्षों के समर्पित करियर में, उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं—सेना, नौसेना, और वायुसेना—में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं हैं।
डॉ. सरीन की यात्रा 1985 में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में नियुक्ति के साथ शुरू हुई। एएफएमसी पुणे से रेडियोडायग्नोसिस में एमडी और टाटा मेमोरियल अस्पताल से रेडिएशन आंकोलाजी में डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपनी विशेषज्ञता को और बढ़ाया। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से गामा नाइफ सर्जरी में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में अपने कौशल को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
डॉ. सरीन ने सेना में लेफ्टिनेंट से लेकर कैप्टन, नौसेना में सर्जन लेफ्टिनेंट से लेकर सर्जन वाइस एडमिरल, और वायुसेना में एयर मार्शल तक की विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाई हैं। इससे उनकी बहु-आयामी क्षमताओं का पता चलता है।
उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को मान्यता देते हुए, उन्हें 2024 में अति विशिष्ट सेवा पदक, 2021 में विशिष्ट सेवा पदक, और कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सदस्य भी हैं।
डॉ. आरती सरीन न केवल अपनी पेशेवर उपलब्धियों के लिए जानी जाती हैं, बल्कि वह युवा महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उनके प्रयासों ने नारी शक्ति पहल को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है।
उनकी प्रेरणादायक यात्रा न केवल महिलाओं के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि साहस, समर्पण और नेतृत्व के साथ किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है।
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