सपनों की उड़ान: सुप्रीम कोर्ट ने दी गरीब मजदूर के बेटे को IIT में प्रवेश

सुप्रीम कोर्ट:- पैसों की कमी के कारण समय पर आईआईटी की एडमिशन फीस न भर पाने वाले एक वंचित छात्र को सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश के एक छात्र का है, जिसके पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। छात्र का चयन प्रतिष्ठित IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स के लिए हुआ था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह फीस जमा नहीं कर सका।
छात्र को 24 जून शाम 5 बजे तक ऑनलाइन फीस भरनी थी। उसके पिता ने कोशिश की कि वह आवश्यक धनराशि इकट्ठा कर सकें, लेकिन समय सीमा समाप्त होने से मात्र 15 मिनट पहले, यानी शाम 4:45 बजे तक वह फीस नहीं भर पाए। इस वजह से छात्र का दाखिला रद्द कर दिया गया।
इसके बाद, छात्र के पिता ने एससी/एसटी आयोग और मद्रास हाईकोर्ट तक अपील की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अंततः, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने IIT धनबाद को आदेश दिया कि छात्र को उसी सीट पर दाखिला दिया जाए। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए छात्र के लिए एक नई सीट बनाने का निर्देश भी दिया, ताकि अन्य छात्रों को कोई समस्या न हो।
सीजेआई ने छात्र को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “हम ऐसे प्रतिभाशाली युवा को जाने नहीं दे सकते।” यह फैसला न केवल छात्र के लिए बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है, जो यह दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद सपने साकार हो सकते हैं।
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