भारत की सुरक्षा: आधुनिक हथियारों के साथ, चीन की चुनौती का सामना

भारतीय सेना ने चीन के साथ अपनी सीमा पर युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। हाल ही में, सेना ने 100 के9 वज्र तोपों, ग्रुप ड्रोन, और उन्नत निगरानी प्रणालियों की खरीद की घोषणा की है। यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है, बल्कि भारत की सैन्य तैयारी को भी सशक्त बनाता है।
28 सितंबर को तोपखाना रेजिमेंट की 198वीं वर्षगांठ के अवसर पर, तोपखाना महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने इस आधुनिकरण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम जिस गति से आधुनिकरण कर रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं किया गया।” सेना ने उत्तरी सीमा पर 155 मिमी गन सिस्टम जैसे के9 वज्र, धनुष, और शारंग को तैनात किया है, जो विभिन्न भूभागों पर प्रभावी तरीके से काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
विशेष रूप से, के9 वज्र तोपों को रेगिस्तानी इलाकों के लिए बनाया गया था, लेकिन पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध के चलते इनकी तैनाती ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी की गई है। जनरल कुमार ने आगे बताया कि सेना अन्य उन्नत तोपखाना प्रणालियों, जैसे एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम और माउंटेड गन सिस्टम को भी शामिल करने की प्रक्रिया में है, जिससे उनकी मारक क्षमता और भी बढ़ जाएगी।
हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास
साथ ही, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारतीय सेना के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास पर भी कार्य कर रहा है। ये मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना तेज उड़ान भरने में सक्षम होंगी, जो भारत की सैन्य ताकत को एक नई ऊँचाई पर ले जाने का वादा करती हैं।
भारतीय सेना ने लंबी दूरी की क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों की क्षमता को भी बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसमें 2,000 किलोमीटर रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर रेंज वाली प्रलय मिसाइलें शामिल हैं। जनरल कुमार ने यह भी बताया कि सेना स्वदेशी पिनाका राकेट की रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना बना रही है।
इन सभी उपायों के तहत, प्रलय और निर्भय मिसाइलों के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी भी मिल चुकी है। यह कदम भारत को रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करेगा और सामरिक सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगा।
इस प्रकार, भारतीय सेना की यह नई पहल न केवल सुरक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि क्षेत्र में स्थिरता और शक्ति संतुलन को भी बनाए रखने में सहायक होगी। भारत अब अपने आप को एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।
Exit mobile version