भारतीय रेलवे में जमीन के बदले नौकरी के घोटाले के मामले में सीबीआई ने हाल ही में विशेष न्यायाधीश की अदालत को सूचित किया है कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है। यह मामला एक बार फिर से भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रमुखता में लाने वाला साबित हो रहा है।
सीबीआई की जांच और अदालत की कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले में लगभग 30 अन्य आरोपितों के खिलाफ अभियोजन मंजूरी के लिए अदालत में याचिका प्रस्तुत की है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह इन मामलों में तेजी लाए, ताकि न्याय की प्रक्रिया को और अधिक सटीकता और तेज़ी से पूरा किया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 7 जून को सीबीआई ने लालू प्रसाद और 77 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें 38 उम्मीदवार भी शामिल थे। इन सभी आरोपों के बीच, अदालत ने 4 अक्टूबर 2023 को लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, और उनके पुत्र तेजस्वी यादव को जमानत दी थी।
घोटाले की प्रकृति
सीबीआई के आरोपों के अनुसार, लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियों के बदले में भूमि हस्तांतरण के माध्यम से अपने परिवार को लाभ पहुंचाया। जांच में सामने आया है कि पटना के उम्मीदवारों ने अपनी भूमि मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके नियंत्रण वाली निजी कंपनी को बेची या उपहार में दी। इस घोटाले में यह भी आरोप लगाया गया है कि कोई सार्वजनिक विज्ञापन या नोटिस जारी नहीं किया गया था, जिससे यह साबित होता है कि नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी थी। पटना के ये उम्मीदवार विभिन्न रेलवे जोनों जैसे मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में ग्रुप-डी पदों पर नियुक्त किए गए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में एक नई हलचल पैदा कर दी है। केंद्र सरकार की अनुमति के बाद सीबीआई ने लालू यादव और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया को तेज किया है। इस निर्णय ने दर्शाया है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर है। विशेष न्यायाधीश के निर्देशों के बाद, सीबीआई अब 15 अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की तैयारी कर रही है। यह सब कुछ इस बात का संकेत है कि कानून व्यवस्था अपने काम को लेकर सजग है और किसी भी भ्रष्टाचार के मामले को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
आगे का रास्ता
जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है, सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अदालत की सुनवाई और सीबीआई की जांच के परिणाम क्या होंगे। यह मामला केवल लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक छवि पर ही सवाल नहीं उठाता, बल्कि यह रेलवे भर्ती प्रक्रिया में भी व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर करता है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीबीआई अपनी जांच में सफलता प्राप्त करती है और क्या आरोपी अपनी निर्दोषता साबित कर पाएंगे। यह मामला निश्चित रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
Discussion about this post