गाजियाबाद:- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का सेटेलाइट सेंटर खोलने की उम्मीद स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने जा रही है। यह सेंटर गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक जीवन रक्षक सुविधा साबित हो सकता है। अब मरीजों को इलाज के लिए दूर-दूर के शहरों की ओर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे समय और धन, दोनों की बचत होगी।
स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा
इस नए सेंटर के माध्यम से मरीजों को स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं और आवश्यक जांच की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इससे इलाज की लागत में कमी आएगी, जो कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बेहद लाभकारी होगा। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को अभी तक इस सेंटर के लिए उपयुक्त स्थान खोजने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
भूमि आवंटन की बाधाएं
सेवानिवृत्त अवर अभियंता आदित्य धीमान के अनुसार, अस्पताल के लिए भूमि आवंटन में बजट की कमी और जीडीए तथा आवास विकास द्वारा मंहगी जमीन की मांग बड़ी बाधाएं हैं। हालांकि, यदि प्रशासन और शासन स्तर पर उचित पहल की जाए, तो जिले में कई ऐसे संभावित स्थान हैं जहां एम्स स्थापित किया जा सकता है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति
आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. वीबी जिंदल ने बताया कि इस सेंटर का खुलना सामान्य से गंभीर मरीजों के लिए फायदेमंद होगा। सरकारी अस्पतालों में अत्यधिक भीड़ को कम करने के साथ-साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति से उपचार की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। आईएमए के प्रवक्ता डॉ. नवनीत वर्मा ने भी इस बात की पुष्टि की कि एम्स की स्थापना से गंभीर मरीजों को दिल्ली या मुंबई की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, जिससे उनका जीवन बचाने में मदद मिलेगी।
प्रशासन की भूमिका
सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने आश्वासन दिया है कि एम्स सेटेलाइट बनाने के लिए शासन स्तर से आने वाले निर्देशों का पालन किया जाएगा।
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