गाजियाबाद:- नगर निगम ने औद्योगिक क्षेत्रों में टैक्स को तीन से सात गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसके खिलाफ विरोध तेज हो गया है। पूर्व मेयर अशु वर्मा ने इस फैसले को ‘हिटलरशाही’ करार देते हुए कहा, “हम अपने शहरवासियों और उद्यमियों को नगर निगम के अधिकारियों द्वारा लुटते नहीं देख सकते।”
नई टैक्स व्यवस्था के तहत उद्यमियों को अब पहले से कहीं अधिक राशि चुकानी होगी। एसएसजीटी रोड के उद्यमी मोहित कुशाल ने बताया, “हमें पिछले वर्ष के 22 हजार रुपये के टैक्स के बजाय अब लगभग 70 हजार रुपये देने के लिए कहा गया है, और कुल मिलाकर हमें सवा लाख रुपये का नोटिस आया है।”
व्यापारियों का गुस्सा इस बात पर है कि नगर निगम ने उन्हें कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं दी हैं, जैसे कि टूटी सड़कें और जल निकासी की कमी। अब जब टैक्स बढ़ा दिया गया है, तो उनके लिए यह वित्तीय बोझ और बढ़ गया है।
स्थानीय उद्यमियों ने महापौर से अनुरोध किया है कि वह इस मुद्दे पर संज्ञान लें और टैक्स को पूर्ववत करने की मांग करें। गाजियाबाद के व्यापारी अब एकजुट होकर इस निर्णय का विरोध करने का संकल्प ले चुके हैं, जिससे नगर निगम की नीतियों पर व्यापक असर पड़ सकता है।
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