गाजियाबाद:- निवासियों के लिए एक खुशखबरी आई है! नगर निगम की कार्यकारिणी ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करते हुए डीएम सर्किल रेट के आधार पर संपत्ति कर लगाने के फैसले को निरस्त कर दिया है। नागरिकों द्वारा इस फैसले का विरोध किए जाने के बाद महापौर सुनीता दयाल ने आपात बैठक बुलाई। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब जिन लोगों को पहले से बढ़े हुए दरों का बिल या नोटिस प्राप्त हुआ है, उन्हें कर जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। नए सिरे से सही दरों पर बिल जारी किए जाएंगे।
महापौर ने कहा कि नगर निगम अधिनियम के अनुसार संपत्ति कर की दरें अब हर दो साल में ही निर्धारित की जा सकती हैं। पिछले वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि के चलते 31 मार्च 2025 तक संपत्ति कर में कोई और वृद्धि नहीं होगी। हालांकि, इस वर्ष बढ़ी दरों पर कर वसूली की जा रही थी, जिससे नागरिक चिंतित थे। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में कर की समीक्षा की जा रही है और इस समय कोई नई वृद्धि नहीं की गई है।
महापौर ने मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा को टैक्स गणना में गड़बड़ी के आरोप में कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि अधिकारी मनमाने तरीके से टैक्स नहीं लगा सकते हैं। महापौर ने सभी टैक्स फाइलें मंगवाकर विशेषज्ञों से जांच कराने की घोषणा की और कहा कि धांधली के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा की चुनावी जीत
इस बीच, नगर निगम कार्यकारिणी के चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर अपनी ताकत साबित की। चुनाव में भाजपा के पांच पार्षदों ने जीत हासिल की, जबकि एक पद पर निर्दलीय उम्मीदवार नरेश जाटव ने विजय प्राप्त की। कुल छह पदों के लिए सात नामांकन किए गए थे, जिसमें आम आदमी पार्टी के पार्षद मुस्तकीम ने अपना नाम वापस ले लिया। इस निर्णय के चलते भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत का मार्ग प्रशस्त हो गया।
जीतने वाले भाजपा के सदस्य हैं: राजीव शर्मा, नीरज गोयल, पूनम सिंह, अमित त्यागी, और नरेश भाटी। अब नगर निगम कार्यकारिणी में भाजपा के 12 सदस्यों में से 10 सदस्य हैं, जो उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
भाजपा की जीत और संपत्ति कर नीति में बदलाव ने गाजियाबाद में राजनीतिक और प्रशासनिक समीकरणों को नया मोड़ दिया है, जिससे शहर के विकास और नागरिकों के हित में नई संभावनाएं खुल रही हैं।
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