सूरत:- गुजरात की बकुलाबेन पटेल ने जीवन की हर चुनौती को पार कर अपनी अदम्य आत्मा का प्रमाण पेश किया है। छोटी उम्र में ही माता-पिता को खोने और 9वीं कक्षा में शादी के बावजूद, बकुलाबेन ने परिवार की जिम्मेदारियां बखूबी निभाईं और अपने गांव में जीवन को संभाला।
1994 में पति के निधन के बाद, जब बकुलाबेन अकेली हो गईं, तो उनके नाती-पोते ने उन्हें नया जीवन और प्रेरणा दी। अपने पोते-पोती को स्कूल छोड़ने और लेने के दौरान खेल-कूद में शामिल होते देखकर उनके बचपन के सपने ने पुनर्जीवित किया। इस प्रेरणा से उत्साहित होकर, बकुलाबेन ने 50 की उम्र में एथलेटिक्स की दिशा में कदम रखा और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त की।
बकुलाबेन का स्विमिंग के प्रति जुनून 9 साल की उम्र से ही था। उस समय स्विमिंग में उनकी कोई समवयस्क नहीं थी, लेकिन उन्होंने बिना किसी परवाह के इसकी ट्रेनिंग जारी रखी। आज, 80 साल की उम्र में, बकुलाबेन ने 16 देशों में स्विमिंग की और नैशनल तथा इंटरनेशनल लेवल पर 500 से अधिक मेडल्स और ट्रॉफीज जीती हैं। उनकी उपलब्धियों में अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर और बंगाल उपसागर में लंबी दूरी की तैराकी शामिल है, जिसमें उन्होंने 19 किलोमीटर तक तैरने का रिकॉर्ड बनाया है।
स्वस्थ जीवनशैली के प्रति उनकी प्रतिबद्धता केवल स्विमिंग तक ही सीमित नहीं है। बकुलाबेन क्लासिकल डांस में भी माहिर हैं और फिलहाल भरतनाट्यम में MA कर रही हैं। 75 साल की उम्र में, उन्होंने ढाई घंटे स्टेज पर परफॉर्म करके लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया।
रोज़ सुबह 4 बजे उठकर 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्विमिंग पूल पहुंचने के साथ-साथ, बकुलाबेन मैराथन, योग, और साइकिलिंग भी करती हैं। अपने दिन-प्रतिदिन के कामों में व्यस्त रहते हुए, बकुलाबेन कभी भी अकेलापन महसूस नहीं करतीं।
50 की उम्र तक गृहणी रहीं बकुलाबेन आज एक प्रेरणादायक स्विमिंग टीचर हैं, जो बच्चों और बुजुर्गों को उनकी ट्रेनिंग और जीवन के अनुभवों से प्रेरित करती हैं। बकुलाबेन पटेल का जीवन इस बात का प्रमाण है कि उम्र केवल एक संख्या है और सपनों को पूरा करने की कोई सीमा नहीं होती।
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