पिछले 24 घंटों से लगातार बारिश ने उत्तर प्रदेश के कई इलाकों को जलमग्न कर दिया है। इस भारी बारिश के चलते यूपी सरकार ने स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। दिल्ली में भी बारिश ने जलभराव की स्थिति पैदा कर दी है, जिसके कारण भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने येलो अलर्ट जारी किया है।
उत्तराखंड में 13 सितंबर को भारी बारिश की संभावना को देखते हुए रेड अलर्ट जारी किया गया है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा आज ऑरेंज अलर्ट पर हैं। बांग्लादेश के ऊपर बने ‘कम दबाव’ क्षेत्र के कारण उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी भारी बारिश की संभावना जताई गई है। IMD ने चेतावनी दी है कि मौजूदा मौसम प्रणाली अगले नौ घंटों तक उत्तर भारत के क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
धौलपुर और आसपास के क्षेत्रों में बारिश के चलते पार्वती बांध के दस गेट खोल दिए गए हैं, जिससे 50 गांवों में बाढ़ का संकट खड़ा हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के अनुसार, मध्य प्रदेश पर बने ‘दबाव’ ने दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश की ओर रुख किया है और अगले 24 घंटे में कमजोर होकर ‘वेल मार्क लो प्रेशर’ बनने की संभावना है।
मौसम विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को भी बादल छाए रहेंगे और कई इलाकों में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश जारी रह सकती है। हवाओं की रफ्तार 25 से 35 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है, जबकि अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
मौसम विभाग ने बताया है कि वीकेंड के बाद बारिश का दौर समाप्त हो सकता है और दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले सप्ताह से देश से लौटना शुरू हो सकता है। 19 से 25 सितंबर के बीच मानसून की वापसी की संभावना जताई गई है। मानसून आमतौर पर एक जून को केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है, और 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से हटने लगता है।
इस वर्ष मानसून ने देशभर में जोरदार बारिश का प्रदर्शन किया है। एक जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक 836.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य वर्षा से आठ प्रतिशत अधिक है। हालांकि, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 16 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसके विपरीत, उत्तर-पश्चिम, मध्य और दक्षिण भारत में क्रमश: चार, 19 और 25 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। मौसम विभाग की पूर्वानुमान सही साबित होते हुए, इस मौसम का रिकॉर्ड बारिश की स्थिति और जलवायु परिवर्तन के असर को भी दर्शाता है।
Discussion about this post