गाजियाबाद:- के न्याय खंड दो क्षेत्र में पिछले पांच दिनों से पानी की आपूर्ति ठप होने से स्थानीय निवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है। बुधवार को, क्षेत्रवासियों ने काला पत्थर रोड स्थित गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) कार्यालय के सामने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इंदिरापुरम के हैंडओवर के बाद से जीडीए के सहायक अभियंता ने उनकी समस्याओं की सुनवाई नहीं की, जबकि हैंडओवर के छह माह तक पानी की आपूर्ति की जिम्मेदारी जीडीए की है। इंदिरापुरम में जीडीए द्वारा सुबह और शाम के समय केवल एक-एक घंटे के लिए गंगाजल की आपूर्ति की जाती है, जो कि स्थानीय लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है।
पानी की किल्लत के चलते 10,000 से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। गंगाजल में नलकूप का पानी मिलाने की शिकायत के बाद, लोगों ने जीडीए के अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि पेयजल लाइन में फॉल्ट आ गया है। दो दिन इंतजार करने के बाद भी कोई सुधार न होने पर, और अधिकारियों द्वारा फोन उठाना बंद कर देने के बाद, गुस्साए लोग बुधवार को न्याय खंड दो के सेंट्रल पार्क में एकत्र हो गए। महिलाओं की अधिकता वाले इस प्रदर्शन में शामिल लोग काला पत्थर रोड पर पहुंचे और जीडीए के दफ्तर का घेराव किया, जिससे सड़क पर जाम लग गया।
स्थानीय निवासी साक्षी ने बताया, “बहुत कम संख्या में पानी के टैंकर आते हैं और जब टैंकर आते हैं, तो पानी की मारामारी मच जाती है। हमें मजबूरी में पानी खरीदना पड़ रहा है और 20 लीटर पानी लेकर सीढ़ियों से चढ़ना पड़ रहा है। हैंडओवर होते ही जीडीए ने काम में लापरवाही करनी शुरू कर दी है, जबकि पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उनकी है।”
उमा देवी ने कहा, “हम चुप नहीं बैठेंगे। पांच दिन से पानी नहीं आया है और हमें मजबूरी में प्रदर्शन करने के लिए घर से निकलना पड़ा है। टैंकर नहीं भेजे जा रहे हैं। ममता ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “पांच दिन से पानी सिर पर ढो रहे हैं। अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं और हमें प्रतिदिन 200 रुपये का पानी खरीदना पड़ रहा है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सहायक अभियंता पीयूष सिंह इस समस्या के जिम्मेदार हैं, लेकिन दफ्तर में कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं मिला। जीडीए के सहायक अभियंता पीयूष सिंह ने बताया कि समस्या को हल करने के लिए काम जारी है, लेकिन स्थानीय लोग अब भी गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और जीडीए अधिकारियों को इस मुद्दे का शीघ्र समाधान करने की आवश्यकता है ताकि स्थानीय निवासियों को राहत मिल सके।
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