गाजियाबाद:- बिजली विभाग में एक चिट्ठी ने भ्रष्टाचार के बड़े खेल का पर्दाफाश किया है, जिसने पूरे विभाग में हलचल मचा दी है। मुरादाबाद में तैनात अधिशासी अभियंता संगम लाल यादव द्वारा मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में 41 करोड़ रुपये के टेंडर में कमीशन के खेल का खुलासा हुआ है, जो विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच सरकारी धन के दुरुपयोग की कहानी बयान करती है।
कमीशन का खेल और रिश्वत का खुलासा
चिट्ठी में संगम लाल यादव ने बताया कि टेंडर जारी करते समय विभाग में ठेकेदारों से 6 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है। यह राशि विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचती है, जिससे सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। यादव ने इस कमीशन की राशि के वितरण का विवरण भी चिट्ठी में शामिल किया है, जो बताता है कि कैसे यह राशि विभिन्न अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है। चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रबंध निदेशक के आदेश पर अधीक्षण अभियंता वेद प्रकाश कौशल ने 41 करोड़ रुपये के टेंडर दिए। इस प्रक्रिया में, निदेशक कार्मिक प्रबंधन एसक पुरवार ने पश्चिमांचल की प्रबंध निदेशक ईशा दुहन को 10 लाख रुपये रिश्वत देकर संगम लाल यादव का मुरादाबाद तबादला कराया। इस खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रिश्वत और कमीशन का खेल विभागीय तंत्र के गहरे स्तर पर व्याप्त है।
विभागीय हलचल और चिंताएं
चिट्ठी के सामने आने के बाद विभाग में चिंता का माहौल पैदा हो गया है। अधिकारियों ने ठेके की फाइलों से दूर रहना शुरू कर दिया है और विभागीय स्तर पर गोपनीय जांच की तैयारी की जा रही है। चिट्ठी में प्रबंध निदेशक का नाम सामने आने से पश्चिमांचल में तैनात एसडीओ, अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंताओं की नींद उड़ी हुई है। इन अधिकारियों को अब डर है कि उनके द्वारा जारी किए गए टेंडर भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
संभावित कार्रवाई और जांच
इस खुलासे ने विभाग के भीतर चर्चा और असंतोष की लहर पैदा कर दी है। चिट्ठी में उठाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण होगा कि विभाग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की प्रक्रिया को सुनिश्चित करे। इस जांच से यह स्पष्ट होगा कि कितने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है और इसके पीछे कौन-कौन से अधिकारी और ठेकेदार शामिल हैं।
इस मामले की गहराई से जांच के बाद ही यह तय हो सकेगा कि क्या विभाग में भ्रष्टाचार के इस घिनौने खेल को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकेगा या नहीं। चिट्ठी ने निश्चित रूप से बिजली विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई जागरूकता पैदा की है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
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