गाजियाबाद:- व्यापारिक नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है, जो नगर निगम के दायरे में संचालित व्यवसायों पर व्यापक प्रभाव डालने वाला है। नगर निगम ने 13 नई व्यावसायिक गतिविधियों के लिए ट्रेड लाइसेंस अनिवार्य करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे अगले बोर्ड बैठक में अंतिम स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत, जिम, ब्यूटी पार्लर, कोचिंग सेंटर, स्पा सेंटर और अन्य गतिविधियाँ अब ट्रेड लाइसेंस के दायरे में आ जाएंगी।
प्रस्तावित नई श्रेणियाँ और शुल्क
नई नीति के अनुसार, विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों के लिए ट्रेड लाइसेंस की वार्षिक शुल्क सीमा 2,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक प्रस्तावित की गई है। यहाँ पर कुछ प्रमुख श्रेणियों और उनके शुल्क की जानकारी दी जा रही है:
जिम (सामान्य): 2,000 रुपये जिम (वातानुकूलित): 5,000 रुपये ब्यूटी पार्लर (सामान्य): 2,000 रुपये ब्यूटी पार्लर (वातानुकूलित): 4,000 रुपये कोचिंग सेंटर, प्रशिक्षण संस्थान (दसवीं कक्षा तक): 2,000 रुपये चार्टर्ड अकाउंटेंट कार्यालय: 4,000 रुपये स्पा सेंटर: 3,000 रुपये सामान्य जूलरी शोरूम: 3,000 रुपये ब्रांडेड जूलरी शोरूम: 5,000 रुपये ब्रांडेड कपड़ा शोरूम: 4,000 रुपये ब्रांडेड जूता शोरूम: 4,000 रुपये स्पोर्ट्स एकेडमी (एकल स्पोर्ट्स): 10,000 रुपये स्पोर्ट्स एकेडमी (मल्टी-स्पोर्ट्स): 20,000 रुपये
पार्षदों की चिंताएँ और विवाद
जनवरी में प्रस्तावित की गई नई नीति को लेकर कुछ पार्षदों ने आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि घरों में चल रहे ब्यूटी पार्लर जैसे छोटे व्यवसायों को नए नियमों से छूट दी जानी चाहिए, खासकर तब जब नगर निगम पहले से संपत्ति कर वसूल कर रहा है। पार्षदों का कहना था कि इस प्रकार के अतिरिक्त शुल्क व्यवसायियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेंगे और यह उचित नहीं है। इस पर नगर निगम ने पार्षदों की आपत्तियों का निस्तारण किया और कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई, जिसके बाद प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया।
आय बढ़ाने की रणनीति और इंदिरापुरम का संभावित योगदान
गाजियाबाद नगर निगम अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहा है। विशेष रूप से, इंदिरापुरम नगर निगम को हस्तांतरित होने के बाद, वहाँ से जल-सीवर, अनुरक्षण शुल्क और संपत्ति कर के रूप में 75 करोड़ रुपये की आमदनी की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, वहाँ के जिम, कोचिंग, स्पा, ब्रांडेड शोरूम और खेल अकादमियों से भी ट्रेड लाइसेंस शुल्क वसूलने की योजना है, जिससे नगर निगम को कुल मिलाकर करीब 100 करोड़ रुपये की आमदनी की संभावना है।
व्यापारियों की प्रतिक्रिया
इस नई नीति पर व्यापारियों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। सराफा एसोसिएशन के संरक्षक, राज किशोर गुप्ता ने टिप्पणी की है कि यह निर्णय सराफा कारोबारियों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला होगा। उनका कहना है कि संपत्ति कर, जल-सीवर शुल्क और कूड़ा उठाने के शुल्क के साथ ट्रेड लाइसेंस शुल्क की आवश्यकता नहीं है। वहीं, राष्ट्रीय व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष, बालकिशन गुप्ता ने व्यापारियों की ओर से कहा है कि व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयास होने चाहिए, लेकिन नगर निगम अलग-अलग टैक्स लगाकर व्यापारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है।
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