राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए):- बंगलूरू के रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में प्रमुख खुलासे किए हैं, जो आतंकवाद के डिजिटल नेटवर्क और वैश्विक साजिशों की गंभीरता को उजागर करते हैं। एनआईए ने सोमवार को चार प्रमुख आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिसमें मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद, और मुजम्मिल शरीफ शामिल हैं। इन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, और पीडीएलपी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
इस साल 1 मार्च को बंगलूरू के आईटीपीएल ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हुए थे और होटल की संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा था। एनआईए ने इस मामले की जांच 3 मार्च को अपने हाथ में ली थी और इसके बाद विभिन्न राज्य पुलिस बलों और एजेंसियों के साथ मिलकर गहराई से जांच की। जांच के दौरान यह सामने आया कि मुसाविर हुसैन शाजिब वही व्यक्ति था जिसने कैफे में बम रखा था। शाजिब और अब्दुल मथीन अहमद ताहा 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद से फरार थे। एनआईए की व्यापक तलाशी के बाद, दोनों को रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार किया गया।
एनआईए ने खुलासा किया कि शाजिब और ताहा आईएसआईएस से जुड़े थे और सीरिया में हिजरत करने की साजिश रच रहे थे। इन दोनों ने भोले-भाले युवाओं को आईएसआईएस विचारधारा के प्रति कट्टरपंथी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ने दर्जनों युवाओं का माइंड वॉश किया।
अत्याधुनिक तकनीक और डिजिटल नेटवर्क का उपयोग करते हुए, ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से प्राप्त भारतीय सिम कार्ड और बैंक खातों का उपयोग किया और डार्क वेब के माध्यम से भारतीय और बांग्लादेशी पहचान पत्रों को डाउनलोड किया। ताहा को पूर्व दोषी शोएब अहमद मिर्जा ने लश्कर-ए-तैयबा के भगोड़े मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था। इसके बाद ताहा ने अपने हैंडलर फैसल को आईएसआईएस के प्रमुखों से मिलवाया और आतंक की साजिश रची।
आतंकी गतिविधियों के लिए ताहा और शाजिब को क्रिप्टो मुद्राओं के माध्यम से वित्त पोषित किया गया था, जिसे उन्होंने टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफार्मों पर फिएट में बदला। इस धनराशि का उपयोग बंगलूरू में विभिन्न हिंसक घटनाओं और रामेश्वरम कैफे विस्फोट की योजना बनाने के लिए किया गया था।
एनआईए के इस खुलासे ने आतंकवाद के वित्तपोषण और साजिश के नए तरीकों को उजागर किया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं। इस जांच ने वैश्विक आतंकवाद की गंभीरता को एक नई दिशा दी है और सुरक्षा बलों को नए डिजिटल खतरों से निपटने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है।
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