असाधारण संघर्ष से पेरिस तक: प्रवीण कुमार ने हर चुनौती को हराया, तिरंगा लहराया

पेरिस पैरालंपिक 2024:- भारत के पैरा एथलीट प्रवीण कुमार ने अपनी शानदार कूद से इतिहास रच दिया। पुरुष ऊंची कूद टी44 स्पर्धा में 2.08 मीटर की ऊंचाई पार कर उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। यह उपलब्धि भारत के लिए इस खेल महाकुंभ में 26वां पदक है।
प्रवीण की यात्रा संघर्ष और समर्पण से भरी रही है। 2016 में गोविंदगढ़ गांव के प्रज्ञान पब्लिक स्कूल में ऊंची कूद के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। 2017 में रायपुर में सीबीएसई क्लस्टर और नेशनल एथलेटिक्स मीट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, उन्होंने 2019 में दुबई में सीनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और टोक्यो 2020 पैरालंपिक में रजत पदक जीता।
गाजियाबाद में एक खेल आयोजन के दौरान कोच डॉ. सत्यपाल ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और दिल्ली बुलाकर नियमित प्रशिक्षण दिया। कोविड-19 के दौरान प्रवीण का कोरोना से संक्रमित होना और 21 दिनों का क्वारंटीन भी उनके समर्पण की कहानी का हिस्सा है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अभ्यास जारी रखा और अंततः पेरिस में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी यात्रा की उच्चतम चोटी को छू लिया।
प्रवीण कुमार का यह प्रदर्शन उनके आत्मविश्वास और कठिनाईयों से जूझने की क्षमता को दर्शाता है, साथ ही यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनकी सफलता न केवल उनके आत्मसंतोष की कहानी है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
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