प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई और सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के रिश्तों को नई दिशा देना है। इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में दोनों देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
सिंगापुर में पीएम मोदी 4-5 सितंबर को रहेंगे, जहां भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर निर्माण और डिजिटल भुगतान क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने इस परिप्रेक्ष्य में बताया कि भारत और सिंगापुर के रिश्ते बड़े विस्तार की ओर बढ़ रहे हैं।
ब्रुनेई ने रक्षा क्षेत्र पर जोर दिया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद जताई जा रही है। ब्रुनेई के साथ भारत के ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर नई संभावनाओं पर चर्चा होगी। हाल के वर्षों में ब्रुनेई ने रक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है और भारत के साथ करीबी सहयोग की इच्छा जताई है। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में एक कार्य समूह के गठन पर भी बातचीत चल रही है, जो भविष्य में महत्वपूर्ण सहयोग की दिशा तय कर सकता है।
इसके अलावा, ब्रुनेई से भारत कच्चे तेल की खरीद करता है और तेल उत्खनन क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं।प्रधानमंत्री मोदी 4-5 सितंबर को सिंगापुर में रहेंगे, जहां वे पीएम लारेंस वोंग के साथ महत्वपूर्ण वार्ताएँ करेंगे। यह पीएम मोदी की लगभग छह साल बाद सिंगापुर की यात्रा है, और इस दौरान भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर निर्माण और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
इस यात्रा के दौरान भारत और सिंगापुर के रिश्तों को नए आयाम मिलने की संभावना है, खासकर रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंधों में निरंतर सुधार हुआ है, और हाल ही में हुई मंत्रिस्तरीय बैठक इस दिशा में एक और कदम है। पीएम मोदी का यह कदम दोनों देशों के बीच सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने का संकेत देता है।
डिजिटलीकरण और उन्नत निर्माण के क्षेत्र में बनी सहमति
भारत और सिंगापुर के बीच हाल ही में हुई उच्चस्तरीय बैठक में डिजिटलीकरण और उन्नत निर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नए सहयोग की संभावनाओं पर सहमति बनी है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने बताया कि इस बैठक में भविष्य के सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान की गई है। यह सहमति दोनों देशों के संबंधों में एक नई दिशा प्रदान करेगी, जो पिछले 10-15 वर्षों में तेजी से बढ़े हैं।
ब्रुनेई ने भी रक्षा क्षेत्र पर जोर दिया है और भारत के साथ करीबी सहयोग की इच्छा जताई है। दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन के आक्रामक रवैये के चलते, इस क्षेत्र की स्थिति वैश्विक स्तर पर गंभीर मानी जाती है। विशेष रूप से, दक्षिण चीन सागर में चीन की वैश्विक व्यवस्था को न मानने की नीति ने अन्य देशों के बीच असहमति पैदा की है।
भारत ने हाल ही में मलेशिया और वियतनाम के प्रधानमंत्रियों का स्वागत किया और पीएम मोदी के ब्रुनेई-सिंगापुर दौरे के बाद, अक्टूबर में लाओस जाने की संभावना है, जहां आसियान शिखर सम्मेलन होगा। वहां पीएम मोदी की आसियान प्रमुखों के साथ अलग बैठक की संभावना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जुलाई 2024 में आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था, जो भारत की इस क्षेत्रीय जुड़ाव को दर्शाता है।
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