नई दिल्ली:- उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अपराधियों के खिलाफ चल रही बुलडोजर कार्रवाइयों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। अदालत ने इस दौरान गंभीर सवाल उठाए, विशेष रूप से यह कि किसी का घर केवल इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर ध्यान दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बिना उचित नोटिस के घरों को ध्वस्त किया जा रहा है।
जस्टिस गवई का निर्देश: अवैध निर्माण केवल नोटिस देकर ही ढहाया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों के खिलाफ चल रही बुलडोजर कार्रवाइयों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि म्युनिसिपल नियमों के तहत अवैध निर्माणों को नोटिस देकर ही ढहाया जा सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी राज्यों को इस दिशा-निर्देश का पालन करना होगा।
जस्टिस गवई ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अचल संपत्तियों को केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत ही ध्वस्त किया जा सकता है। यूपी के विशेष सचिव गृह द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे की पुष्टि भी की गई है।
अदालत ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा, जो सभी राज्यों के लिए मानक होंगे। जस्टिस गवई ने यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदम की सराहना की और कहा कि उचित दिशा-निर्देशों के निर्माण के लिए वकीलों से सुझाव मांगे जाएंगे। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी, जिसमें देशभर में चल रही बुलडोजर कार्रवाइयों की वैधता की समीक्षा की जाएगी।
एडवोकेट नचिकेता जोशी को अपनी राय दें
सीनियर एडवोकेट नचिकेता जोशी को प्रस्ताव देने की अपील की है। जस्टिस गवई ने सभी पक्षों से अनुरोध किया है कि वे अपने सुझाव नचिकेता जोशी को सौंपें, जो इन प्रस्तावों को एकत्रित कर अदालत में पेश करेंगे।
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