सुप्रीम कोर्ट के पास एनएचआरसी का प्रस्ताव: बंधुआ मजदूरों को मिलेगी वित्तीय सहायता
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह बंधुआ मजदूरों को वित्तीय सहायता देने के लिए एक ठोस प्रस्ताव तैयार करेगा। एनएचआरसी ने कहा कि वह सभी हितधारकों से चर्चा करके इस मुद्दे का समाधान जल्द पेश करेगा, जिससे बंधुआ मजदूरों को तत्काल मदद मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट:- शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बताया कि वह बंधुआ मजदूरों को तुरंत वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव लाएगा। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ बंधुआ मजदूरों के मौलिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने चिंता जताई कि कई मजदूरों को आज तक कोई वित्तीय सहायता या मुआवजा नहीं मिला है। एनएचआरसी ने आश्वस्त किया कि सभी हितधारकों से चर्चा कर तत्काल सहायता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे बंधुआ मजदूरों को आवश्यक राहत मिल सके।
एनएचआरसी: बंधुआ मजदूरों की वित्तीय सहायता पर हितधारकों से होगी चर्चा, अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने के मुद्दे पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। एनएचआरसी ने सूचित किया कि वह एक ठोस प्रस्ताव तैयार करेगा, जिससे बंधुआ मजदूरों को शीघ्र राहत मिल सके। याचिकाकर्ता संगठन ने लगभग 11 हजार बच्चों को बचाया है, लेकिन केवल 719 को ही वित्तीय सहायता मिली है। एनएचआरसी के वकील ने कहा कि वह सभी हितधारकों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर एक प्रभावी समाधान लाएंगे। पीठ ने एनएचआरसी से याचिकाकर्ताओं और अन्य पक्षों से बातचीत कर विस्तृत तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने को कहा। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।
शीर्ष अदालत ने मामले में राज्यों से प्रतिक्रिया की मांग की थी
जुलाई 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरों की याचिका पर सुनवाई करने की सहमति दी थी और केंद्र, एनएचआरसी तथा विभिन्न राज्यों से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने बताया कि 28 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक ईंट भट्ठे से उसे और अन्य मजदूरों को बचाया गया था। ये मजदूर बिहार के गया जिले से एक अपंजीकृत ठेकेदार द्वारा तस्करी कर लाए गए थे। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उन्हें न्यूनतम वैधानिक मजदूरी के बिना काम करने के लिए मजबूर किया गया और उनके मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, जब एनएचआरसी और अन्य हितधारकों से वित्तीय सहायता और अन्य राहत के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी।
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