जस्टिन ट्रूडो का नया फैसला: कनाडा में भारतीयों के लिए नौकरी की राह व मुश्किल
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अस्थाई नौकरी करने वाले विदेशियों की संख्या कम करने की घोषणा की। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगस्त 2024 तक कनाडा में भारतीयों की संख्या 20 लाख तक पहुंचने का अनुमान है, जिनमें अधिकांश भारतीय सिख छोटे कारोबार और कंपनियों में काम कर रहे हैं। नए फैसले से भारतीयों के लिए कनाडा में नौकरी पाना और भी कठिन हो सकता है।
कनाडा:- प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिसके तहत अस्थाई नौकरी करने वाले विदेशियों की संख्या में कटौती की जाएगी। इस नए नियम का सीधा असर कनाडा में काम कर रहे भारतीय युवाओं पर पड़ेगा, जिनमें अधिकांश छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ जीवन यापन के लिए नौकरी करते हैं। कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय कामकाजी और छात्र समुदाय के लिए यह फैसला नई चुनौतियाँ लेकर आ सकता है।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने लिखा, “हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम कर रहे हैं। देश का लेबर मार्केट काफी बदल गया है। अब समय आ गया है कि हमारी कंपनियां कनाडाई श्रमिकों और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा नौकरियां दें।
कनाडा में भारतीयों की बड़ी तादाद
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2024 तक कनाडा में भारतीयों की संख्या 20 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। 2022 में, 118,095 भारतीय कनाडा में स्थायी निवासी बने, जबकि 59,503 ने कनाडाई नागरिकता प्राप्त की। 2024 की पहली तिमाही में कनाडा ने 37,915 नए भारतीय स्थायी निवासियों को अनुमति दी, जो 2023 की पहली तिमाही के मुकाबले 8,175 कम है। यह बदलाव भारतीय प्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण है और नए नियमों से उनकी संख्या और स्थिति पर असर पड़ सकता है।
खालिस्तान समर्थक से कनाडा ने भारत की बढ़ाई चिंता
कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय सिख, जो छोटे कारोबार और कंपनियों में काम कर रहे हैं, के बीच खालिस्तान समर्थक गतिविधियाँ बढ़ रही हैं। ट्रूडो सरकार ने खालिस्तान समर्थकों की पक्षधरता की है, जिससे भारत की चिंता और बढ़ गई है। हाल ही में, एडमोंटन के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में भारत विरोधी नारे लिखे गए और तोड़-फोड़ की गई। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने बताया कि भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य पर भी हमला हुआ। इन घटनाओं के पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
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