गाजियाबाद:- इंदिरापुरम में साइबर अपराधियों ने एक महिला को नया शिकार बनाया। प्रगति वर्मा नामक महिला को डिजिटल गिरफ्तारी का झांसा देकर ठगों ने उनके साथ चार घंटे तक मानसिक खेल खेला। ठगों ने आधार कार्ड से जुड़े उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर यह दावा किया कि वह सात करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में शामिल हैं। इस डर के चलते, ठगों ने व्हाट्सएप पर फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाया और प्रगति वर्मा को अपने खाते में 30 लाख रुपये जमा कराने के लिए मजबूर किया। महिला ने अपनी चार एफडी तुड़वाकर बताया गया रकम ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दी। 24 अगस्त को, एक कॉलर जो पुलिस की वर्दी में था और खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताता था, ने व्हाट्सएप के जरिए उन्हें डराया। उसने दावा किया कि प्रगति का नाम एक बड़े गैंगस्टर की धोखाधड़ी से जुड़ा है और फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाकर उन्हें 30 लाख रुपये की रकम जमा करने के लिए मजबूर किया। प्रगति ने अब इस ठगी का मामला साइबर थाने में दर्ज कराया है।
खाते के सत्यापन के नाम पर ठगी
प्रगति, ने हाल ही में एक ठग के धोखाधड़ी के जाल में फंसकर 30 लाख रुपये गंवा दिए। ठग ने पहले आधार कार्ड की मांग की और फिर बैंक में जमा राशि के बारे में पूछा। बाद में उसने एफडी के सत्यापन का बहाना बनाते हुए, महिला से कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जांच के लिए एफडी की पूरी रकम एक विशेष खाते में जमा करनी होगी। ठग ने दावा किया कि यदि जांच में सब कुछ सही पाया गया, तो रकम वापस मिल जाएगी। विश्वास कर, प्रगति ने अपनी चार एफडी को तोड़कर 30 लाख रुपये उस खाते में जमा करा दिए। जब उसने ठग को डिटेल भेजी, तो ठग ने संपर्क तोड़ लिया।
सतर्क रहें, ठगों से बचें—डरें नहीं, पुलिस को कॉल करें!
एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद के अनुसार, ठग का पता लगाने और जमा कराई गई रकम को फ्रीज करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की ठगी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है—कोई भी व्यक्ति यदि खाते में रकम जमा करने के लिए कहे, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। ऐसे मामलों में डरे नहीं, और तुरंत पुलिस को सूचित करें। अपने पैसे की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना ही सबसे अच्छा बचाव है।
Discussion about this post