डेंगू के इलाज में एलोपैथी और होम्योपैथी का संयोजन एक नई उम्मीद लेकर आया है। डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान में हाल ही में किए गए एक शोध में यह सामने आया है कि इन दोनों उपचारों के मिलाजुला उपयोग से डेंगू के मरीजों की रिकवरी में तेजी देखी गई है। शोध में विभिन्न आयु वर्ग के 100 मरीजों पर एलोपैथी और होम्योपैथी दवाओं के संयुक्त प्रभाव का विश्लेषण किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस संयोजन से प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं और डेंगू के अन्य प्रभाव भी जल्दी घटते हैं। शोध में 100 मरीजों को दोनों पद्धतियों की दवा दी गई, जबकि तुलना केवल एलोपैथी से इलाज करवा रहे मरीजों से की गई। होम्योपैथी दवाओं ने शरीर को रोग से लड़ने के लिए मजबूती प्रदान की और मरीजों की रिकवरी में तेजी लाई। परिणामस्वरूप, जिन मरीजों को होम्योपैथी दवा मिली, वे तीन दिन पहले अस्पताल से छुट्टी पा गए।
दो टीमों में विभाजित कर किया गया शोध
नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी के चेयरमैन डॉ. अनिल खुराना ने डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान के 100 मरीजों पर किए गए अध्ययन के परिणाम साझा किए। अध्ययन में दो ग्रुप बनाए गए: एक को केवल एलोपैथी दवा दी गई और दूसरे को एलोपैथी के साथ होम्योपैथी दवा भी दी गई। परिणाम में सामने आया कि एलोपैथी और होम्योपैथी के संयोजन वाले ग्रुप के मरीज दो से तीन दिन पहले ठीक हो गए और उनके प्लेटलेट काउंट में तेजी से वृद्धि हुई।
मरीज की जान जा सकती है
डॉ. खुराना ने कहा कि अगर डेंगू मरीज के प्लेटलेट्स तेजी से घटते हैं, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। इन मरीजों में प्लेटलेट्स की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है, और कई बार इसे उपलब्ध कराना भी कठिन हो जाता है। यदि इलाज के दौरान प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ जाते हैं, तो इससे राहत मिलेगी, डॉक्टरों का समय बचेगा, और अस्पताल में बेड जल्दी खाली होंगे, जिससे अन्य मरीजों को भी उपचार मिल सकेगा। इसके अलावा, इससे मरीज में किसी दूसरी जटिलता का जोखिम भी कम हो जाएगा।
इन मरीजों में गंभीर प्रभाव देखने को मिलता है
डॉ. खुराना के अनुसार, डेंगू तब गंभीर होता है जब मरीज को दो अलग-अलग वायरल स्ट्रेन अटैक करते हैं, जिससे प्लेटलेट्स तेजी से गिर सकते हैं। यदि समय पर उचित इलाज न मिले, तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, बारिश के बाद डेंगू के मामले बढ़ गए हैं, और इस बार डेंगू का सिरो 2 स्ट्रेन सक्रिय है। हालांकि, निगम के डॉक्टरों का कहना है कि यह स्ट्रेन अधिक गंभीर नहीं है और मरीजों को गंभीर हालत में नहीं ला रहा है।
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