Green Revolution: हरित क्रांति से आत्मनिर्भरता की ओर,आज AI ने बदल दिया रुख
AI की भूमिका और हरित क्रांति: भारत के कृषि क्षेत्र में नया युग भारत में 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत खाद्यान्न संकट को समाप्त करने और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। इस पहल ने देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया। अब, एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स ने हरित क्रांति को नए युग की ओर अग्रसर किया है।
1960 के दशक में भारत गंभीर खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था, जिससे लाखों लोग भूख के मारे सोने को मजबूर थे। खाद्यान्न की कमी के कारण व्यापक कुपोषण फैलने लगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को जनता से अपील करनी पड़ी, “पेट पर रस्सी बांधो, अधिक साग-सब्जी खाओ, सप्ताह में एक दिन एक समय उपवास रखो, और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझो।
1960 के दशक में खराब मानसून और सूखे की समस्या ने कृषि उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया। हालांकि, 1964-65 में मानसून काफी अच्छा रहा, फिर भी भारत को 70 लाख टन खाद्यान्न की विदेशी सहायता की आवश्यकता पड़ी। ऐसे हालात में देश के नीति-निर्माताओं को एहसास हुआ कि खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए प्रभावी उपायों की जरूरत है।
भारत ने खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें सबसे प्रमुख था हरित क्रांति। वनस्पति वैज्ञानिक एस. स्वामीनाथन ने 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत की, जिसमें पैदावार बढ़ाने वाले बीज, उर्वरक, और रसायनों का उपयोग किया गया। इसके व्यापक प्रभाव से भारत ने अगले तीन वर्षों में, यानी 1971 तक, खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली।
कृषि क्षेत्र में AI के लाभ
AI ने कृषि क्षेत्र में जोखिम को कम करने, उत्पादन को बढ़ाने और स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह फसल की किस्मों और पर्यावरणीय स्थितियों के आधार पर बुआई की सटीक सलाह भी प्रदान करता है। कई AI-संचालित चैटबॉट्स और मोबाइल एप्स उपलब्ध हैं, जो किसानों को फसल से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करते हैं और उनके प्रश्नों के त्वरित उत्तर भी देते हैं।
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कैसे हुई
हरित क्रांति का उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ाना था, ताकि खाद्यान्न की जरूरतें पूरी की जा सकें और किसानों की आय में भी वृद्धि हो। इस क्रांति के तहत बीजों की नई किस्मों को लागू करके कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसका आरंभ खरीफ फसलों से हुआ, जहाँ वैज्ञानिकों को उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। इस सफल प्रयोग को पूरे देश में लागू किया गया, जिससे यह एक महत्वपूर्ण क्रांति का रूप ले लिया।
क्या शुरू हो चुकी है दूसरी हरित क्रांति?
1960 के दशक की हरित क्रांति ने मुख्य रूप से उन्नत बीजों और उर्वरकों पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन आज, कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए AI के साथ-साथ बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
सैटेलाइट, ड्रोन, सेंसर और IoT जैसी तकनीकों के माध्यम से मिट्टी की स्थिति, मौसम के पैटर्न, फसल की वृद्धि और कीटों के संक्रमण की सटीक जानकारी समय पर मिल जाती है। इससे किसानों को सिंचाई, फसल सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है।
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