गाजियाबाद:- चौपला मंदिर बाजार में बृहस्पतिवार को दुकानों को ध्वस्त करने के लिए पुलिस बल के साथ नगर निगम की टीम के पहुंचने पर व्यापारियों ने तीव्र विरोध किया। व्यापारियों ने बाजार के चारों गेट बंद कर दुकानों को भी बंद कर दिया और धरना देकर बैठ गए। विरोध बढ़ते देख नगर निगम की टीम वापस लौट गई। निगम अधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही टीम को भेजा गया था।
वार्ड 59 के पार्षद राजीव शर्मा ने बताया कि नगर निगम का दल बाजार में तीन-चार दुकानों को ध्वस्त करने के लिए आया था। जिन दुकानों को तोड़ने की योजना थी, वे 1937 में बनी थीं, जब नगर निगम भी अस्तित्व में नहीं था। सभी दुकानें अब अत्यंत जर्जर हो चुकी हैं और इनमें से किसी में भी कोई नया निर्माण नहीं किया गया है।
नगर पुलिस बल के साथ नगर निगम की टीम के विरोध में व्यापारी एकजुट हो गए। व्यापारियों ने चौपला बाजार के चारों गेट बंद कर दिए और दुकानों को भी बंद करके सड़क पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, साथ ही धरना भी दिया। धीरे-धीरे बड़ी संख्या में व्यापारी इकट्ठा हो गए।
विरोध बढ़ते देख नगर निगम की टीम को लौटना पड़ा। व्यापारियों ने घोषणा की कि नगर निगम को अपनी मनमानी नहीं करने दी जाएगी और किसी भी कीमत पर दुकानों को ध्वस्त नहीं होने दिया जाएगा। नगर निगम के अधिकारियों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन हंगामा बढ़ने पर वे पीछे हट गए। चौपला बाजार में लगभग 700 दुकानें हैं। दोपहर तक सभी दुकानें बंद रहीं, और जब व्यापारियों को लगा कि नगर निगम की टीम वापस नहीं आएगी, तो उन्होंने दुकानों को खोल लिया। विरोध करने वालों में राकेश स्वामी, राजू छाबड़ा, अनुराग गर्ग, और संजीव मित्तल प्रमुख थे। कई व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे।
व्यापारियों का गुस्सा निगम पर फूट रहा
यह पहला अवसर नहीं है जब व्यापारियों ने नगर निगम की किसी कार्रवाई का खुलकर विरोध किया है। इससे पहले भी कई मौकों पर व्यापारी अपनी नाराजगी जताने के लिए सड़क पर उतर चुके हैं। सबसे बड़ा मुद्दा नगर निगम द्वारा 1702 दुकानों के किराए में वृद्धि का है। इसके विरोध में व्यापारी कई बार धरना-प्रदर्शन करके बाजार बंद कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक की थैलियों को जब्त करने के अभियान के दौरान भी नगर निगम की टीम और व्यापारियों के बीच कई बार संघर्ष हो चुका है। मालीवाड़ा मंडी में तो नगर निगम की टीम पर पथराव भी किया गया था, जिसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
नगर निगम के मुख्य अभियंता एनके चौधरी ने बताया कि किसी व्यक्ति ने नगर निगम में अतिक्रमण की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि नाले पर कब्जा करके दुकानें बनाई गई हैं। इसके बाद शिकायत हाईकोर्ट में भी की गई। हाईकोर्ट ने नाले से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुसार नगर निगम की टीम गई थी, लेकिन विरोध के चलते अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका। अब अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की जाएगी और नगर निगम की टीम फिर से भेजी जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
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