नोएडा। दिल्ली के अस्पताल में आग लगने और मासूमों की मौत के बाद अब सिस्टम की नींद खुली है। अग्निशमन विभाग ने यहां के अस्पतालों पर पहुंचकर आग से बचाव के संसाधन चेक किए तो कई अस्पतालों में खामियां मिलीं। इसकी रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी गई है। अपने स्तर से भी अग्निशमन विभाग ने संबंधित अस्पतालों को नोटिस भेजा है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रदीप कुमार चौबे के नेतृत्व में अस्पतालों का निरीक्षण किया गया। इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि 48 अस्पतालों में आग से बचने के उपाय बेहतर नहीं हैं। किसी अस्पताल में पाइपलाइन ठीक नहीं है तो कहीं निकास मार्ग अवरुद्ध है तो कहीं सिलिंडर खाली हैं। सबसे अधिक खामियां छोटे अस्पतालों में मिलीं। जिला अस्पताल में भी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन मिला। वहीं, शहर के बड़े निजी अस्पतालों में सामान्य रूप से अग्निशमन व्यवस्था ठीक मिली, जबकि ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में बहुत अधिक उल्लंघन पाया गया। यह पूरी जानकारी सीएमओ कार्यालय के साथ साझा की गई है। जल्द ही इसे लेकर एक टीम का गठन भी किया जाएगा।
इन नियमों पर मिलती है एनओसी
प्रमुख रूप से अस्पतालों को अग्निशमन विभाग की ओर से बीस मानकों को पूरा करने के बाद ही एनओसी दी जाती है। इसमें मुख्य रूप से अस्पताल के चारों ओर दमकल की गाड़ियों के जाने का रास्ता, 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले अस्पताल में स्प्रिंकलर सिस्टम, स्वचालित स्मोक डिटेक्टर और हीट डिटेक्टर सिस्टम, कंट्रोल पैनल, पंप और पंप रूम की व्यवस्था, आपातकाल की स्थिति में चार तरह से निकास आदि हैं। यदि अस्पताल में यह मानक नहीं हैं तो अग्निशमन विभाग, अस्पताल प्रशासन को नोटिस भेजकर जवाब मांगता है, यदि नोटिस में दी गई समय अवधि के भीतर जवाब नहीं आता है तो जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यदि नियमों का पालन फिर भी नहीं किया जा रहा है तो पानी-बिजली के कनेक्शन काटने का भी नियम है। सीएफओ ने बताया कि ज्यादातर आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट है। इससे हादसों को रोकने के लिए अस्पतालों और अन्य बड़ी इमारमों में इलेक्ट्रिकल ऑडिट जरूर कराना चाहिए। 48 अस्पतालों को व्यवस्था दुरूस्त कराने के लिए नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
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