लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मदरसे में बच्चों का ब्रेनवॉश करने जैसे मामले का खुलासा हुआ है। यहां एक मौलवी बच्चों को जन्नत पाने की तालीम देता था। वह बताता था कि एक हाफिज 10 बच्चों को जन्नत ले जाता है। हिंदुओं में पुनर्जन्म को गंदा काम करने का नतीजा बताता था।
रेस्क्यू हुए 7 से 15 साल के इन बच्चों से राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बात की। उन्होंने कहा-जिस तरह से इन बच्चों का ब्रेन वॉश किया जा रहा था। वह किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है। जो बच्चे ठीक से हिंदी तक नहीं बोल पाते, वे पुनर्जन्म बोल रहे हैं। हिंदू धर्म और इस्लाम में अंतर भी बता रहे हैं। लखनऊ के दुबग्गा में अवैध तरीके से घर में संचालित हो रहे मदरसे से 1 मई को 23 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। इन बच्चों को बाल संरक्षण गृह में रखा गया है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने इन बच्चों से बात की और इनकी मानसिकता को गहराई से समझा। उन्होंने कहा कि बच्चों को दीन की शिक्षा, जन्नत के सपने दिखाए जाते थे। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जा रहा था। यह बातें उन्हें बाकी दुनिया से अलग कर रही थी। इस पूरे मामले की जांच, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) और पुलिस ने संयुक्त रूप से की। इसमें यह भी पता चला है कि ये लोग मुस्लिम समाज से जकात (दान) के नाम पर पैसे लेते थे। उसी से अवैध मदरसे का संचालन किया जा रहा था। जकात के पैसे से निजी संपत्ति बनाने का भी खुलासा हुआ है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं। तंग गलियों, दूर-दराज के ग्रामीण एरिया में संचालित ऐसे मदरसे की जांच होनी चाहिए। कहा कि यूपी के मुख्य सचिव सहित अल्पसंख्यक विभाग, परिवहन, रेलवे और पुलिस विभाग को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है। उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने 26 फरवरी को अपर मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ विभाग को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया कि मदरसे, सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत होने चाहिए। सरकार की सख्ती के बाद कई मदरसों ने स्कूलों का रूप तो ले लिया लेकिन अंदर मदरसे की शिक्षा दी जाती रही। इस बात को समझने के लिए जामिया इस्लामिया अशरफुल उलूम का उदाहरण देखना होगा। यहां एशियन पब्लिक स्कूल का बोर्ड लगा था, जबकि अंदर स्कूल के साथ मदरसा भी चल रहा था। यहां 2007 से ही मदरसा चल रहा है जबकि स्कूल 2023 में खोला गया। ऐसे ही चलने वाले मदरसे की जांच की मांग बाल आयोग ने की है।
नहीं आए परिजन
लखनऊ के दुबग्गा में अवैध तरीके से घर में संचालित हो रहे मदरसे से 1 मई को 23 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। जिला बाल कल्याण समिति के चेयरमैन से रविंद्र जादौन ने बताया कि अभी तक दुबग्गा से छुड़ाए गए बच्चों के परिवार से कोई नहीं आया है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने सीडब्ल्यूसी को पत्र भेजा है। जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड हेल्पलाइन काउंसलर को पत्र लिखकर बच्चों की काउंसिलिंग कराने का निर्देश दिया है।
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