फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में माफिया मुख्तार अंसारी फंसा, कल मिलेगी सजा

प्रयागराज। फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को दोशी करार दिया है। बुधवार को उसे सजा सुनाई जाएगी।
मुख्तार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने लिखित बहस के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रूलिंग दाखिल की थी। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अभियोजन अधिकारी उदयराज शुक्ला व एडीजीसी विनय सिंह की ओर से भी रूलिंग दाखिल की गई। कोर्ट ने बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। जिसे बुधवार दोपहर सुनाया जाएगा।

अभियोजन के अनुसार 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर दोनाली बंदूक का लाइसेंस लेने के मामले में आरोपी माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत में सुनवाई चल रही थी। इसमें दोनों पक्षों के गवाह और वकील अपना तर्क पेश कर चुके थे। बांदा जेल से मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी कराई गई। अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ल और एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने दलील दी थी कि मुख्तार ने लंबे समय तक शस्त्र का उपयोग किया था। मुख्तार के खिलाफ कोर्ट में अब तक 10 गवाहों ने गवाही दी है।

सीबीसीआईडी ने दर्ज कराया था केस
प्रकरण के अनुसार, पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। फर्जीवाड़े के उजागर होने पर सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

असलाह बाबू भी फंसा था
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध मुकदमा 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों का बयान दर्ज कराया गया है।

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