गाजियाबाद। डीसीपी लक्ष्मी सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। वह साल 2019 में जिले में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रह चुकी हैं। अब लक्ष्मी सिंह आगरा के स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (कॉपरेटिव) में तैनात हैं। जबकि एफआईआर लखनऊ के थाना सुशांत सिटी में लिखी गई है। आरोप है कि लक्ष्मी सिंह ने झूठा सर्टिफिकेट लगाकर इंस्पेक्टर से डीसीपी पद पर प्रमोशन पाया था। जांच में पता चला कि लक्ष्मी सिंह ने कोर्ट ऑर्डर के कई तथ्य छुपाकर प्रमोशन पाया था।
मुकदमा पुलिस मुख्यालय स्थित अपराध अनुसंधान विभाग में तैनात सब इंस्पेक्टर महेंद्र प्रताप सिंह ने कराया है। इसके मुताबिक लक्ष्मी सिंह ने इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी पद पर प्रमोशन के लिए 8 जून 2023 और 14 जून 2023 को कुछ शपथ पत्र दाखिल किए। जिसके बाद लक्ष्मी सिंह चौहान को प्रमोशन मिल गया। बाद में जब डॉक्यूमेंट्स की जांच हुई तो तथ्य गलत पाए गए। पता चला कि लक्ष्मी सिंह ने कोर्ट के आदेश को तोड़-मरोड़कर शासन में पेश किया और कई अन्य चीजें भी छिपाईं।
बरामदगी में 72.50 लाख रुपए कम दिखाने का आरोप
दरअसल, लक्ष्मी चौहान साल-2019 में गाजियाबाद में बतौर इंस्पेक्टर तैनात थीं। यहां उस वक्त एटीएम में कैश लोड करने वाले कस्टोडियन एजेंट राजीव सचान के खिलाफ गबन की एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में पुलिस ने राजीव सचान को उसके साथी आमिर संग गिरफ्तार करके मोटा कैश बरामद कर लिया। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने सिर्फ 45 लाख 81 हजार 500 रुपए बरामद दिखाए और नोटों से भरा दूसरा बैग गायब कर दिया।
गबन का भी चला केस
इस मामले में इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान, दरोगा नवीन कुमार, सिपाही बच्चू सिंह, फराज खान, धीरज भारद्वाज, सौरभ शर्मा और सचिन कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में 25 सितंबर 2019 को गाजियाबाद के लिंक रोड थाने में केस दर्ज किया गया था। इन सभी पुलिसकर्मियों पर साढ़े 72 लाख रुपए गायब करने का आरोप लगा था। हालांकि 4 सितंबर 2021 को मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट ने इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह सहित कई पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार के आरोप से बरी कर दिया और कहा कि ये पैसों के गबन का मामला है। इसलिए गाजियाबाद कोर्ट गबन का मुकदमा चलाने के बारे में विचार करे।
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