गाजियाबाद। जिले के ट्रॉनिका सिटी के रामपार्क कॉलोनी के रहने वाले चार छात्र दो दिन पहले यमुना नदी में नहाने के दौरान डूब गए थे। जिनमें तीन छात्रों के शव रेस्क्यू करके पुलिस व गोताखोरों की मदद से बरामद कर लिए गए थे, लेकिन चौथ छात्र उदय का शव नहीं मिला तो एनडीआरएफ को भी रेस्क्यू में लगाया गया। एनडीआरएफ ने रेस्क्यू कर चौथे छात्र का भी शव बरामद कर लिया है। यमुना नदी में चार छात्रों की डूब के हुई मौत से उनके परिवारों में कोहरा मचा हुआ है।
एसीपी सूर्यवाली मौर्य ने बताया यह पांच छात्र यमुना नदी में ठोकर नंबर 8 पर बुधवार को नहाने गए थे। जहां नहाने के दौरान शिव यादव, रमन, आदित्य रावत और उदय आर्य डूब गए थे। जबकि इनका एक साथी करन यमुना नदी के किनारे उन लोगों के कपड़े मोबाइल फोन की रखवाली कर रहा था। देखते ही देखते चारों छात्र गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे जब तक करन शोर मचाया तब तक चारों दोस्त डूब गए। इसके बाद पुलिस और स्थानीय गोताखोरों ने रेस्क्यू किया तो शिव यादव, रमन और आदित्य का शव बरामद कर लिया। जबकि चौथा छात्र उदय का कोई सुराग नहीं लगा जिस पर प्रशासन ने एनडीआरएफ को लगाकर रेस्क्यू कराया तो उदय का भी शव बरामद हो गया। एसीपी ने बताया कि चार छात्रों की मौत से उनके परिवारों में कोहराम मच गया है। यह चारों छात्र दसवीं क्लास में थे और इनका आज 22 फरवरी से एग्जाम भी था। करन ने पूछताछ में बताया कि यह चारों लोग एग्जाम से पहले मौज मस्ती करने के लिए यमुना नदी में प्लानिग कर नहाने के लिए आए थे। जहां उनके साथ हादसा हो गया। एक साथ हुई चार छात्रों की मौत से परिवारों में कोहराम मचा हुआ है। पुलिस ने चारों छात्रों के शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए।
रखवाली की वजह से बची करन की जान
करन अपने अपने दोस्तों के यमुना नदी के किनारे बैठकर कपड़े और अन्य सामान की रखवाली कर रहा था। जिसकी वजह से करन की जान बच गई। क्योंकि यह लोग पहले ही यमुना नदी में नहाने चले गए थे। जिसकी वजह से करन को मौका नहीं मिल पाया तो वह मजबूरी में उन लोगों के कपड़ों की रखवाली करने लगा। अगर करन भी इन चारों दोस्तों के साथ यमुना नदी में नहाने जाता तो शायद उसके साथ भी हादसा हो सकता था।
आज चारों का था दसवीं का बोर्ड एग्जाम
परिजनों ने बताया कि शिव,रमन, आदित्य और उदय दसवीं क्लास में पढ़ाई कर रहे थे आज उनका बोर्ड एग्जाम होने वाला था, लेकिन चारों छात्रों की मौत से उनके परजनों के भी सपने अधूरे रह गए। परिजनों का रो-रोकर कहना था कि अगर यह चारों लोग यमुना नदी में नहाने नहीं जाते तो उनकी आज जान नहीं जाती और वह अपना एग्जाम देकर सफल होते।
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