गाजियाबाद: फर्जी दस्तावेज दाखिल कर पा ली जमानत, नौ साल बाद दर्ज हुआ केस

गाजियाबाद। जमानत के लिए थाने की फर्जी मुहर समेत फर्जी आख्या लगा ली गई। इस पूरे घटनाक्रम की पुलिस को भनक तक नहीं लगी। जबकि नौ साल पुराने मामले की शिकायत पर जांच हुई तो अफसर भी हैरत में पड़ गए। जबकि बाद में मुकदमा दर्ज किया गया है।

थाना मसूरी में तैनात इंस्पेक्टर हरेंद्र राणा ने सिंह ने थाना कविनगर में एक मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमा के अनुसार थाना साहिबाबाद के अर्थला में रहने वाला वसीम 2014 में पॉस्को केस में जेल गया था। इसकी जमानत जिला हापुड़ के थाना धौलाना के बझेड़ा गांव के दो लोगों ने दी थी। वसीम जमानत के बाद जब कोर्ट में केस के ट्रायल के दौरान पेश नहीं हुआ तो दोनों जमानत देने वालों के नाम वारंट जारी हुए। वारंट जारी होने के बाद जब दोनों जमानती कोर्ट पहुंचे तो उन्होंने बताया कि उन्होंने तो वसीम की जमानत दी ही नहीं है। कोर्ट ने इस मामले की जांच हापुड़ एसपी को सौंपी। क्योंकि दोनों जमानती जिला हापुड़ के थाना धौलाना के बझेड़ा गांव के रहने वाले थे। जांच में पाया गया कि उस दौरान थाना धौलाना में तैनात सब इंस्पेक्टर हरेंद्र सिंह के नाम से फर्जी आख्या और उनकी फर्जी मोहर से जमानत मिली है। इतना ही नहीं तत्कालीन थाना धौलाना के थानाध्यक्ष की फर्जी मोहर भी लगाई गई थी। जांच में जब यह जांच आख्या और मोहर फर्जी साबित हुई तब पुलिसकर्मी हरेंद्र राणा ने थाना कविनगर में वसीम उसके पैरोकार और परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

ये था पूरा मामला
वसीम के खिलाफ थाना साहिबाबाद में 1 अगस्त 2014 को मुकदमा कायम हुआ था दो दिन बाद यानी 3 अगस्त को उसकी गिरफ्तारी हुई थी और 29 सितंबर 2014 में उसके खिलाफ चार्जशीट कोर्ट दाखिल हुई थी। एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव के मुताबिक की पूरी जांच होने के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है।

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